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अब केजरीवाल सरकार को प्रिंसिपलों की नियुक्ति में धांधली के आरोपों से घिरा हुआ है, हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा

दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल इस PIL में आरोप लगाया गया है कि इन सभी 35 अभ्यर्थियों ने गलत तरीके से प्रजेंट किया और उनकी नियुक्ति गैरकानूनी थी।

दिल्ली के सरकारी शिक्षण संस्थानों में 35 नए प्राचार्यों की नियुक्ति चुनौतीपूर्ण है। दिल्ली हाई कोर्ट में इन सभी प्रिंसिपलों की नियुक्ति की जांच कराने की मांग की गई। अब अदालत ने अरविंद केजरीवाल सरकार को इस मामले में नोटिस भेजा है। याचिका में कहा गया है कि अदालत ने संबंधित अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह इन स्कूलों के प्रिंसिपलों की नियुक्ति की जांच करें। इन सभी पर आरोप लगाया गया है कि वे फर्जी दस्तावेज देते थे।

दिल्ली सरकार, यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) और प्रिंसिपल भी इस याचिका पर जवाब देने को अदालत में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा है। अब इस मामले की सुनवाई 8 जुलाई को अदालत में होगी।

इस PIL में आरोप लगाया गया है कि इन सभी 35 अभ्यर्थियों ने गलत तरीके से कार्य किया और खुद को गलत तरीके से प्रजेंट किया, जिससे उनकी नियुक्ति गैरकानूनी थी। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग इन सभी दस्तावेजों की जांच करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। इसलिए उनकी नियुक्ति गलत हुई है।

Navendu Charitable Trust, याचिकाकर्ता, ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि उनके पास अन्य प्रिंसिपलों को लेकर भी सबूत है। याचिकाकर्ता से पहले अदालत ने कहा था कि जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, उन्हें भी इस मामले में शामिल किया जाए।

कई अवैध नियुक्तियों का शक

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सभी 35 प्रिंसिपलों ने आर्थिक रूप से बाधा डालने वाली शाखा (EWS) के फर्जी सर्टिफिकेट दिए हैं। याचिका में कहा गया है कि इनके परिवार की सालाना आय 8 लाख से अधिक है। कुछ अन्य लोगों ने फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट देकर OBC कोटे का फायदा उठाया। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें सिर्फ कुछ फर्जी नियुक्तियों का पता चला है, लेकिन कई और भी अवैध नियुक्तियां हो सकती हैं।

याचिका में कहा गया है कि व्यापक रूप से गलत चुनावों की वजह से योग्य उम्मीदवारों को चुना नहीं जा सका। इससे संविधान की धारा 16 का उल्लंघन होता है। यह कैंडिडेट प्रोबेशन पीरियड पर हैं और 1 लाख 75 हजार से अधिक की कमाई कर रहे हैं। स्थायी होने पर इनकी जांच और भी कठिन हो जाएगी। इस धोखाधड़ी से असली योग्य उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिली। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को सभी रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए जो कैंडिडेट नियुक्ति के समय दिए जाते हैं। लेकिन विभाग ने अपनी कर्तव्यों को पूरा नहीं किया।

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