कुष्ठ रोगियों की बस्ती सेवा संघ ने बनाई

ललित शर्मा और हप्र
कैथल में 29 जनवरी
रेलवे लाइन के पास झुग्गी-झोपड़ियों में बेनामी जीवन जीने वाले कुष्ठ परिवारों की जिंदगी को बदलकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का अभियान कैथल की समाज सेवी संस्था सेवा संघ ने पिछले 44 वर्षों से चलाया है। 2001 में, सेवा संघ ने सिरटा रोड के बाहरी इलाके में कच्ची झोपड़ी में रहने वाले कुष्ठ रोगियों को छत दी. इसके अलावा, उन्हें सपेरा बस्ती में सभी आवश्यक सुविधाएं दी गईं और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा गया।
सेवा संघ के संस्थापक शिव शंकर पाहवा बताते हैं कि यह घटना 1996 की है, जब करीब 23 कुष्ठ परिवार कच्ची झोपड़ियों में रहते थे और चोरों के पास खुला स्थान होने के कारण आवारा पशु भी इन झोपड़ियों के आसपास घूमकर गंदगी फैलाते थे। तब संस्था ने उनकी आवश्यकता को समझा। सेवा संघ ने गरीब परिवारों को पक्के घर देने का फैसला किया। नगर के दो समाज सेवी चन्द्रगुप्ता शोरेवाला और हुक्मचंद बंसल ने संस्था के प्रयासों से खाली पड़ी जमीन सेवा संघ को कुष्ठ सेवा आश्रम बनाने के लिए दी। सेवा संघ ने उस समय के डीसी डा. महाबीर से चर्चा करके कुष्ठ सेवा आश्रम का निर्माण शुरू किया। इसका उद्देश्य कुष्ठरोगियों के जीवन को बदलना था, जिससे वे समाज से जुड़ें और उनकी आने वाली पीढ़ियां भीख मांगने का पेशा त्यागकर पढ़ाई-लिखाई और काम धंधों से जुड़ सकें। इस समय कुष्ठ आश्रम में बच्चों सहित 26 लोग रहते हैं। संस्था ने 23 लोगों के लिए मकान बनाकर एक पूरी कुष्ठ बस्ती बसा दी। बस्ती में रहने वाले लोगों के चेहरे पर रौनक साफ दिखाई देती है। बस्ती के मंदिर में कुष्ठ रोगी भजन-कीर्तन करते हैं।
2 साल में कुष्ठालय का निर्माण
1999 में, तत्कालीन DC और संत महात्माओं की कृपा से कुष्ठ आश्रम का उद्घाटन हुआ। 2001 में हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बाबू परमानंद ने सेवा संघ कुष्ठ सेवा आश्रम को कुष्ठ परिवारों के लिए उद्घाटित किया। इन सभी परिवारों के पास अब राशन कार्ड हैं। सेवा संघ यहां ध्वजाहोरण करके हर गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस मनाता है। आश्रम में एक मंदिर, एक डिस्पेंसरी, एक पक्के शौचालय, एक यज्ञशाला और एक सामुदायिक भवन है।