धर्म

मासिक शिवरात्रि जानिये कब है? शुभ महूरत!

मासिक शिवरात्रि तिथि

मासिक शिवरात्रि का आगामी कार्यक्रम दिनांक: 08 मार्च, 2024 है

मासिक शिवरात्रि के बारे में

शिवरात्रि भगवान शिव से जुड़ने का अवसर है। मासिक शिवरात्रि हर महीने में एक बार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। शिवरात्रि हिंदू धर्म का सबसे पवित्र त्योहार है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और उन्हें स्वास्थ्य, समृद्धि, सुखी वैवाहिक जीवन, विभिन्न स्रोतों से आय आदि का आशीर्वाद मिलता है।

यह क्यों मनाया जाता है?

कुछ लोग कहते हैं, यह उस दिन की याद में मनाया जाने वाला दिन है जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले घातक विष को पी लिया था। जबकि अन्य लोग कहते हैं कि यह वह दिन है जब भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था

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समुद्र मंथा

एक बार देवता और असुर क्षीर सागर का मंथन कर रहे थे। मंथन के दौरान विष का घड़ा निकला जो ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता रखता था। इससे असुर और देवता दोनों भयभीत हो गए और वे भगवान शिव के पास भागे। ब्रह्माण्ड को विष से बचाने के लिए शिव ने उसे निगल लिया। इससे उसका गला नीले रंग का हो गया। इसके बाद उन्हें “नीलकंठ” कहा जाने लगा। इसी घटना के उपलक्ष्य में शिवरात्रि मनाई जाती है।

मासिक शिवरात्रि व्रत

मासिक शिवरात्रि पर एक व्रत रखा जाता है जिसे व्रत कहा जाता है। कोई सामान्य खाद्य पदार्थ नहीं खाता। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लोग व्रत रखते हैं। यह उसे तमस गुण (जड़ता की गुणवत्ता) और रजस गुण (भावुक गतिविधि) को नियंत्रित करने में मदद करता है।

व्रत के दौरान खाये जाने वाले खाद्य पदार्थ:

समक के चावल
कुट्टू के परांठे
फलों का सलाद
कुट्टू की पूरी
आलू फ्राइज
मसला हुआ साबूदाना
सुखी अरबी
सेव टमाटर की सब्जी

महिलाओं के लिए मासिक शिवरात्रि का महत्व

विवाहित महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व है। वे अपने बेटों और पतियों के लिए व्रत रखती हैं। अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं

मासिक शिवरात्रि के लाभ

शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का दिन है। निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:

1. पापों से मुक्ति मिल सकती है

2. यह उन्हें सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है

3. बुरी आत्मा को दूर भगाता है

मासिक शिवरात्रि के अनुष्ठान:

ॐ नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक.
उपवास
ब्राह्मण पुजारियों को भोजन कराना

 

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