स्वास्थ्यटेक्नॉलॉजी

अध्ययन ने दिखाया कि तनाव और गंभीर बीमारियों का संबंध किशोरों में हो सकता है।

हाल ही में एक अध्ययन ने पाया कि युवावस्था में स्ट्रेस काफी घातक हो सकता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का जर्नल इस अध्ययन को प्रकाशित कर चुका है। इसलिए जरूरी है कि युवा लोगों को तनाव कम करने के तरीके सिखाए जाएं। विद्यार्थियों को स्ट्रेस कम करने के कुछ आसान तरीके जानें।

आपको पता है कि स्ट्रेस हमारी सेहत के लिए कितना घातक होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि युवावस्था में होने वाला स्ट्रेस और भी अधिक घातक हो सकता है? हां, एक हाल ही में हुई अध्ययन ने बताया कि बचपन में स्ट्रेस घातक हो सकता है। आइए जानें इस अध्ययन से क्या पता चला है और इस समस्या से कैसे बच सकते हैं।

अध्ययन से क्या निकला?

जर्नल ऑफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने हाल ही में प्रकाशित किए गए एक अध्ययन के अनुसार, युवावस्था में परेशानियों की वजह से कार्डियोमेटाबॉलिक डिजीज का शिकार हो सकते हैं। इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 2003 से 2014 तक साउथ कैलिफोर्निया चिल्ड्रन हेल्थ स्टडी में भाग लेने वाले 276 लोगों के स्वास्थ्य डाटा और 2018 से 2021 तक फॉलो-अप जांच का विश्लेषण किया। इन प्रतिभागियों के बचपन, टीनेज और शुरुआती एडल्ट हुड में स्ट्रेस को मापने के लिए प्रश्नावली की मदद ली गई. पता चला कि वयस्कों में अधिक तनाव था, खासकर टीनेज में, उनमें कार्डियोमेटाबॉलिक बीमारियों का अधिक जोखिम था। इस अध्ययन से समझा जा सकता है कि स्ट्रेस मैनेजमेंट कितना महत्वपूर्ण है

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युवाओं के शरीर और हार्मोन्स में अक्सर होने वाले बदलावों की वजह से वे बहुत उधेड़-बुन में रहते हैं। उनके जीवन को पढ़ाई की चिंता, दोस्तों से बराबरी करने की होड़ और चका-चौंध वाली सोशल मीडिया की दुनिया काफी प्रभावित करती हैं। इन कारणों से वे अक्सर तनाव का शिकार होते हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है। इसलिए उन्हें इस बोझ को कम करने के तरीके सिखाना बहुत जरूरी है। स्ट्रेस मैनेजिंग इन तरीकों से कर सकते हैं:

आवश्यकतानुसार आराम से सोना वयस्क बच्चे अक्सर अधिक देर तक जागते हैं, जिससे वे पूरी रात नहीं सो पाते। मित्रों से बातचीत करना, पढ़ाई करना या सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना इसका कारण हो सकता है। लेकिन नींद पूरी नहीं होने से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ जाता है। यही कारण है कि उनकी नींद पूरी होनी चाहिए। वे इस बात को बहुत महत्व नहीं देते, लेकिन आप इसकी महत्व बताने की कोशिश कर सकते हैं।

बातचीत करें: अक्सर युवावस्था में बच्चे यह नहीं समझ पाते कि उन्हें अपनी भावनाओं को किसके साथ शेयर करना चाहिए, जो उन्हें फैसला किए बिना उनकी भावनाओं को समझ सकता है। वे पहली बार कुछ अनुभव कर रहे हैं। इसलिए वे तनाव में रहते हैं। इसलिए उनकी मदद करने के लिए अपने घर को ऐसा बनाएं कि वे उसे अपना सुरक्षित स्थान मानें और खुलकर अपने विचारों को शेयर करें। अगर सभी नहीं भी, तो घर में किसी ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति होनी चाहिए, जो इन बातों को हल करने में उनकी मदद कर सकता है।

फन समय- टीनेजर्स अक्सर पढ़ाई करने के लिए बहुत अधिक दबाव में रहते हैं, जिससे वे अपनी हॉबी को फॉलो नहीं कर पाते और दबाव में रहते हैं। इसलिए टीनेजर्स को अपनी बड़ों की तरह ब्रेक की जरूरत होती है। इस समय वे अपनी पसंद का काम कर सकते हैं, जैसे स्पोर्ट खेलना, संगीत सुनना, दोस्तों के साथ घूमना आदि। इससे उनका मानसिक तनाव कम हो सकता है।

व्यायाम: नियमित व्यायाम करना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। एक्सरसाइज करने से शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, जिससे तनाव बढ़ता है। इसलिए बच्चों को हर दिन कुछ समय बिताने की सलाह दें।

प्रोफेशनल सहायता: यदि आपको लगता है कि आपके बच्चा तनाव का शिकार है और उसे नियंत्रित नहीं कर पा रहा है, तो प्रोफेशनल मदद लेना बहुत अच्छा हो सकता है।

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