Red Fort Terror Attack: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लाल किला हमला मामले में पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की दया याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 साल पुराने सनसनीखेज आतंकी हमले में पाकिस्तानी आतंकी की फांसी की सजा पर अपनी मुहर लगा दी है। बाद में आतंकी आरिफ ने राष्ट्रपति से जान बख्शने की गुहार लगाई थी। अब वहां से भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी गई है। यद्यपि, कानून विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक के पास अभी भी एक ऑप्शन बाकी है.
24 साल पहले, देश की संप्रभुता और एकता का प्रतीक लाल किला पर आतंकवादी हमला हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को कार्यभार संभालने के बाद से अब तक दो दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है। 3 नवंबर 2022 को, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही पाकिस्तानी आतंकवादी आरिफ उर्फ अशफाक की रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया था। उसकी मौत की सजा पर भी मुहर लगा दी गई थी। आरिफ ने इसके बाद राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की।
पाकिस्तानी आतंकी के पास अब क्या विकल्प?
सुप्रीम कोर्ट ने पहले आतंकवादी आरिफ की समीक्षा याचिका को खारिज कर दी, फिर राष्ट्रपति मुर्मू ने उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तानी आतंकवादी आरिफ उर्फ अशफाक के पास क्या कोई कानूनी विकल्प बचा है? कानून विशेषज्ञों का मानना है कि आरिफ संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत सजा में रियायत की मांग कर सकता है। वह याचिका दायर कर सकता है क्योंकि मौत की सजा पर अमल में बहुत देरी हुई है।
राष्ट्रपति को 15 मई को मिली थी दया याचिका
15 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आरिफ उर्फ अशफाक की दया याचिका मिली थी। 29 अगस्त को राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि 27 अगस्त को लाल किला हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी की दया याचिका को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ठुकरा दिया था। आतंकवादी 22 दिसंबर 2000 को लाल किला में घुस गए थे। उन्होंने सात राजपुताना राइफल्स के जवानों पर ताबड़तोड़ गोलबारी की। इस हमले में तीन युवा मारे गए। हमले के चार दिन बाद आरिफ उर्फ अशफका को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।