Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: 16 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, मुहूर्त और पूजा-विधि को जानें

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर्व हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस विशिष्ट अवसर पर भगवान गणेश की पूजा करने का नियम है।
Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: सनातन धर्म में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर्व हर साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस विशिष्ट अवसर पर भगवान गणेश की पूजा करने का नियम है। मान्यता है कि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को शुभ लाभ मिलता है और गणपत्ति बप्पा की कृपा सदा बनी रहती है। फरवरी में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा का मुहूर्त और विधि जानें-
16 फरवरी को द्विजप्रिय चतुर्थी है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि फरवरी 15, 2025 को 11:52 पी एम पर शुरू होगी। चतुर्थी तिथि 17 फरवरी 2025 को 02:15 AM पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 16 फरवरी को किया जाएगा।
पूजा-पाठ
1: भगवान गणेश को जलाभिषेक करें
2: श्री गणेश को पुष्प, फल और पीला चंदन चढ़ाएं
3. तिल के लड्डू या मोदक का भोग
4. द्विजप्रिय चतुर्थी की कथा पढ़ें
5. मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें
6: पूरी श्रद्धा से गणेश जी की आरती करें
7: चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दें
8: व्रत का पारण
9: क्षमा प्रार्थना करें
तामसिक भोजन से बचना चाहिए, चाहे व्रत रखा हो या नहीं; संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही खाना चाहिए।
चांद निकलने का समय: 16 फरवरी को 9 बजे 39 मिनट पर सूर्योदय होगा। चांद निकलने का समय अलग-अलग शहरों में अलग हो सकता है।