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एक व्यक्ति को अपने चचेरे भाई और भतीजी को उनके गांव ले जाकर दिनदहाड़े हत्या करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है।

महराजगंज में चचेरे भाई और भतीजी की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई है।अदालत ने 2 लाख 25 हजार जुर्माना भी लगाया है।

Sentence to Death:यूपी के महराजगंज में चचेरे भाई और भतीजी की बेरहमी से हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने अभियुक्त को फांसी की सजा और 2 लाख 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. 2 अप्रैल 2014 को दिनदहाड़े पुरन्दरपुर क्षेत्र के मानिक तालाब टोला चन्नीपुर में बैजू उर्फ बैजनाथ ने अपने चचेरे भाई निर्मल और भतीजी ज्ञानती की तहरीर तब बैजू बहुत छोटा था। उसी समय बहस समाप्त हो गई। जैसे-जैसे बैजू बड़ा हुआ, उसी मामले को लेकर घृणा करने लगा। शत्रुता के कारण उसने ज्ञानती और उसके ताऊ निर्मल को दिनदहाड़े गांव में मार डाला।

14 गवाहों में से दस ने ट्रायल के दौरान गवाही दी। अभियुक्त बैजू उर्फ बैजनाथ को साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम पवन कुमार श्रीवास्तव ने दोषी ठहराया। कोर्ट ने अभियुक्त को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि उसे गर्दन से फांसी पर लटकाया जाए जब तक वह मर न जाए। यह फांसी की सजा का दूसरा मामला है जिले में। 2003 में सदर कोतवाली क्षेत्र के पिपरा कल्याण गांव में हुई हत्या के मामले में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।

दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड से दहल उठा था मानिक तालाब गांव

2 अप्रैल 2014 को, चचेरे भाई और भतीजी को मार डालने वाले बैजू उर्फ बैजनाथ ने अपने बचपन की रंजिश को मन में रखकर दोहरे हत्याकांड किए। दिन दहाड़े हुई घटना से पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र का मानिक तालाब गांव दहल उठा था। घटना के बाद, बैजू ने पीछा कर रहे ग्रामीणों को धारदार हथियार से डराने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।

पत्रावली में कहा गया है कि बैजू के मन में दोहरे हत्याकांड के करीब बीस साल पहले ही घृणा पैदा हुई थी। वह उस समय छोटा था। चाचा और पिता के बीच जमीन लेकर लफड़ा। बाद में मामला सुलझा लिया गया, लेकिन बैजू उर्फ बैजनाथ अभी भी उस रंजिश को मन में पाले हुए था। घर में लोहे का हथियार खुद बनाता रहा। वादी राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि वह बैजू की रंजिश को नहीं समझ पाया। उसने दो अप्रैल 2014 को चचेरा भाई निर्मल की हत्या की योजना बनाई जब उनके परिजन घर पर नहीं थे।

चचेरे भाई को 79 बार चाकू से गोंदा, भतीजी पर किया था 73 वार

घटना के दिन, बैजू ने अपने पैर और हाथ में ट्यूब के सहारे चाकू सहित कई धारदार हथियार छिपाए थे। निर्मल को मालिक तालाब गांव में कबीर चौधरी के घर के सामने देखते ही वह तलवार और चाकू लेकर दौड़ा। हमले के बाद निर्मल गिर पड़ा। निर्मल ने सीने पर बैठकर चाकू और तलवार से उसके शरीर को 79 बार गोदा। यह घटना देखकर भतीजी ज्ञानती रोई और कहा कि चाचा बड़े पापा को मारने से बचो। बैजू ने निर्मल को छोड़कर अपनी भतीजी को पीछे छोड़ दिया। भयभीत होकर भाग रही ज्ञानती को तीन घर पार करके हरिराम विश्वकर्मा के घर के सामने दबोच लिया। 73 बार उस पर हमला किया गया था। घटनास्थल पर वह इससे मर गया। इस मामले में नौ वर्ष दस महीने बाद फांसी की सजा का निर्णय आने के बाद मानिक तालाब के गांव के लोगों के जेहन में घटना का चित्र उभरा। नरेन्द्र यादव ने कहा कि घटना दिल दहला देने वाली थी।

ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत अभियोजन ने की प्रभावी पैरवी

पुलिस कार्यालय के मीडिया सेल ने बताया कि पुलिस ने अभियोजन विभाग से मिलकर आपरेशन कन्विक्शन के तहत अभियुक्त को सजा सुनाने में सफल पैरवी की। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार सिंह, न्यायालय मोर्हिरर हेड कांस्टेबल भगवान राम और न्यायालय पैरोकार कांस्टेबल सूरज कुमार तिवारी ने गवाहों को समय-समय पर प्रस्तुत किया। संतोष मिश्र और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी देवेन्द्र पांडेय ने बहस की। न्यायाशीश ने पत्रावली में दिए गए साक्ष्यों पर निर्णय दिया।

क्‍या बोले सरकारी वकील 

पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र में 2014 में चचेरे भाई व भतीजी के दोहरे हत्याकांड में न्याय की जीत हुई है, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र पाांडेय ने कहा। अभियुक्त को फांसी की सजा अपर सत्र न्यायाशीध की अदालत ने दी है।

क्‍या बोली पुलिस 

डीजीपी के निर्देश पर चलाए जा रहे आपरेशन कन्विक्शन के तहत 2014 में पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र में डबल मर्डर केस में अभियुक्त बैजू उर्फ बैजनाथ को फांसी की सजा सुनाई गई, एसपी सोमेन्द्र मीना ने बताया। महराजगंज पुलिस और अभियोजन विभाग ने इसमें सफल प्रयास किए। मैं इस टीम को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दे रहा हूँ।

अलीगढ़ में मंगलसूत्र भी उतरवाए

अलीगढ में पुलिस भर्ती के परीक्षा केंद्रों पर बहुत सख्ती है। परीक्षा केंद्रों पर प्रवेश करते समय महिला अभ्यर्थियों से पर्स, शाल, हाथ में बंधे धागे, बालों लगे कलेचर और यहां तक कि मंगलसूत्र उतरवा लिए गए। अभ्यर्थियों को हाथ में कंगन पहनने पर भी प्रतिबंध लगाया गया। परीक्षार्थियों की बड़ी संख्या के चलते हुए शहर में सुबह से ही जाम लग गया था। शहर से आगरा की ओर जाते हुए एक जाम में भी एम्बुलेंस फंसी हुई थी।

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