Maa Chandraghanta Aarti :नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा जाने पूजा विधि मंत्र और भोग
Maa Chandraghanta Aarti
Maa Chandraghanta Aarti: 11 अप्रैल, 2024 को नवरात्रि का तीसरा दिन होगा। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा की जाती है।
11 अप्रैल को नवरात्रि का तीसरा दिन होगा। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा की जाती है। शास्त्र कहते हैं कि मां दुर्गा का यह स्वरूप बहुत शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता रानी का नाम चंद्रघंटा पड़ा क्योंकि उनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचंद्र है। मां चंद्रघंटा की सवारी शेर है। दस हाथों में कमल और कमडंल सहित अस्त-शस्त्र हैं। इनकी पहचान माथे पर एक अर्धचंद्र है। श्वेत पुष्प की माला उनके कंठ पर और रत्नजड़ित मुकुट उनके सिर पर है। युद्ध मुद्रा माता चंद्रघंटा के पास है। माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन शांत होता है। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा करने से अनंत शक्ति मिलती है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग बहुत शुभ है। मां की कृपा से जीवन खुशियों से भरता है। नवरात्रि के तीसरे दिन, विधिवत पूजा करके चंद्रघंटा माता की आरती करें।
Maa Chandraghanta Aarti
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
मां चंद्रघंटा मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा का भोग
मां चंद्रघंटा को को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा पंचामृत, चीनी व मिश्री माता रानी को अर्पित की जाती है।