मोदी की स्वच्छता की जिद ने देश की छवि बदल दी है
स्वच्छ भारत अभियान को मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच महीने के अंदर शुरू किया था। नौ वर्ष बाद, गांव और शहर दोनों की दृष्टि बदली है। लेकिन मोदी 2014 में स्वच्छता पर गंभीर नहीं हुए; यह शुरू से ही उनके स्वभाव का एक हिस्सा था, जो पिछले पांच दशक में संगठन से लेकर सरकार तक में देखा गया है।
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर में एक रोड शो किया। इस चार किलोमीटर लंबे रोड शो के दौरान सड़क के दोनों ओर हजारों लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाए।मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए भी यह स्वाभाविक था।बीकानेर में मोदी पर फूल चढ़ाने वालों की भीड़ थी।स्थिति ऐसी थी कि गुलाब की पंखुड़ियों ने सड़क को ढक दिया था।इस तरह का शो टीवी पर पहले कभी नहीं देखा गया था।चाहे मोदी 2014 से गुजरात के प्रधानमंत्री रहे हों या गुजरात के मुख्यमंत्री, उन्होंने पिछले दो दशक में व्यापक जनसमर्थन प्राप्त किया है, और इसके सबूत हैं
लेकिन इस तरह के रोड शो के बाद सफाई को लेकर मोदी का जोर है, वह तस्वीरें हैं जो लोगों की नजर से दूर हैं या कम चर्चा में हैं। मोदी ने कहा कि पार्टी के जो कार्यकर्ता रोड शो की तैयारी कर रहे हैं, वे रोड शो के सफल आयोजन के बाद सड़कों की सफाई करेंगे, जिन पर फूल-माला या झंडे-बैनर बिखर गए थे।
बीकानेर रोड शो में दिखाया
कल रात बीकानेर में इसकी नवीनतम उदाहरण भी देखा गया। रातों-रात बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पूरी सड़क साफ कर दी, मोदी के रोड शो के महज कुछ घंटों के अंदर। उसने झाडू हाथ में लिए और सड़कों को रोड शो से पहले से भी अधिक साफ करने के लिए सारा कूड़ा समेटा। वास्तव में, मोदी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हमेशा कहा है कि रोड शो या रैली कहीं भी हो, कार्यक्रम के समाप्त होने के तुरंत बाद सड़क या स्थान की सफाई कर दी जाए। मोदी नहीं चाहते कि कोई राजनीतिक कार्यक्रम, चाहे वह उनसे संबंधित हो, स्वच्छता की जगह गंदगी का कारण बन जाए।
यह भी दिलचस्प है कि मोदी ने सफाई से संबंधित किसी भी शहर या नगर में अपने कार्यक्रम को मंजूरी देने की एक विशिष्ट शर्त रखी हुई है। जिस शहर में मोदी की रैली, रोड शो या सभा की योजना है, चाहे बीजेपी की सरकार हो या नगर निगम हो, पार्टी को सात दिन पहले से ही कार्यक्रम स्थल की पूरी सफाई करनी होगी। मोदी कार्यक्रम के लिए तैयार नहीं होते अगर सफाई नहीं हो सकती। नवीनतम उदाहरण मथुरा है, जहां 23 नवंबर को मोदी का कार्यक्रम निर्धारित है,
2014 में प्रधानमंत्री बनते ही स्वच्छता अभियान की शुरुआत
मोदी के सफाई के प्रति जुनून को पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी जानते हैं। मोदी ने मई 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद ही 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की. उसी साल महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर 2014 को मोदी ने इस देशव्यापी अभियान को औपचारिक तौर पर शुरू किया था। 2019 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक देश से खुले में शौच की प्रथा को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया. यह एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
5 साल में 10 करोड़ टॉयलेट उत्पादि
2014 से 2019 के बीच देश में मिशन मोड में करीब दस करोड़ टॉयलेट बनाए गए, जो इस अभियान की सफलता को दर्शाता है। यह अभियान शुरू होने से पहले देश में सैनिटेशन कवरेज सिर्फ 39% था, लेकिन 2019 में यह 100 % हो गया. देश में लगभग छह लाख गांव को ओडीएफ (खुले में शौच प्रतिबंधित) घोषित किया गया था।
अर्थोपार्जन भी स्वच्छता मिशन से जुड
पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण की सफलता से प्रेरित होकर 2020 में दूसरा चरण शुरू किया. 2024 से 2025 तक देश के सभी गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने के लिए एक लाख इकतालीस हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था. इस कार्यक्रम का उद्देश्य न सिर्फ माहौल और स्वच्छता को स्थायी बनाना था, बल्कि कूड़े-कचरे का सही ढंग से इस्तेमाल इस दूसरे चरण में सरकार को अभी तक काफी सफलता मिली है।
गुजरात के मुख्यमंत्री बनते ही सफाई अभियान शुरू हुआ
लेकिन मोदी ने स्वच्छता की दिशा में ऐसा पहला कदम नहीं उठाया था। बहुत कम लोगों को पता होगा कि मोदी ने अक्टूबर 2001 में गुजरात का पहला मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पूरे राज्य में सफाई का अभियान शुरू किया था। और यह भी राज्य सरकार के मुख्यालय, गांधीनगर में स्थित सचिवालय से शुरू होता है। मोदी ने एक युद्ध स्तर का अभियान शुरू किया, चाहे वह सचिवालय कैंपस में वर्षों से खराब हो चुकी गाड़ियों को हटाना हो या दशकों से खराब हो चुकी फाइलों को हटाना हो।
कूड़ा कम करने के लिए उठाए गए कदम
मोदी ने अक्टूबर 2019 की सुबह चेन्नई के पास महाबलीपुरम में समंदर के किनारे से कूड़ा लेकर अपने हाथ में रखे झोले में डालने की भी तस्वीर लोगों ने देखी। यही नहीं, मोदी को अक्सर अचानक रुककर कुछ उठाते हुए देखा गया, जैसे कि कोई कागज या कूड़ा दिखाई देता है. वे खुद को उठा लेने में शर्म नहीं महसूस करते। मोदी ने स्वच्छता की दिशा में सिर्फ सफाई पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि कूड़े को किस तरह से खत्म किया जाए और इससे क्या मिलेगा, इसकी भी चिंता की। यही कारण है कि उनकी सरकार कूड़े से सड़क बनाती है, तो कूड़े और मलबे से कला और बिजली बनाती है।
पीएम स्वच्छता में लापरवाही नहीं चाहते
पिछले नौ वर्षों में देश की स्वच्छता की स्थिति में बड़ा सकारात्मक बदलाव आ चुका है। मोदी अभी भी संतुष्ट नहीं है। वह चाहते हैं कि भारतवासियों की स्वच्छता में कभी कोई कमी नहीं आई। बीजेपी के दीपावली मिलन कार्यक्रम में भी इसे देखा गया। 17 नवंबर की दोपहर दिल्ली में बड़ी संख्या में जमा हुए पत्रकारों से बातचीत करते हुए, स्वच्छता में सहयोग की पहली अपील ही कर डाली। मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान में मीडिया की सराहना की और इसमें आगे भी सहयोग करने की अपील की, ताकि भारत विश्व के सबसे स्वच्छ देशों में शामिल हो सके।
मोदी जानते हैं कि स्वच्छता महज अच्छे स्वास्थ्य से नहीं, बल्कि देश की साख से जुड़ी है। भारत, जो कभी दुनिया भर में मदारियों, भिखारियों और गंदी सड़कों और सुंदर नालों के देश के तौर पर बदनाम था, अब अपनी शुद्धता को लेकर पहचान बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसकी गति सुस्त नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि मोदी खुद महान उदाहरण प्रस्तुत करते रहते हैं और देश को भी इस दिशा में निरंतर प्रगति करने के लिए प्रेरित करते हैं।