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Bank NPA: RBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों का फंसा हुआ कर्ज कई सालों के निचले 2.8 प्रतिशत पर गिर गया है।

Bank NPA: रिपोर्ट के अनुसार, लंबे समय से जारी भू-राजनीतिक तनाव और महंगाई में कमी की धीमी रफ्तार जैसे जोखिमों से जूझ रही है।

Bank NPA: बैंकों का फंसा कर्ज, यानी ग्रॉस एनपीए (GNPA), पिछले कई वर्षों के निचले स्तर 2.8 प्रतिशत पर गिर गया है। जबकि मार्च 2024 में नेट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NNPA) रेश्यो 0.6% पर आ गया। फंसे कर्ज के हिस्से में से प्रावधान करने के बाद जो कर्ज बचता है उसे ही नेट एनपीए यानि शुद्ध फंसा हुआ कर्ज कहते हैं.

27 जून 2024 को, भारतीय रिजर्व बैंक ने 29वीं फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता और वित्तीय स्थिरता की राह में जोखिम का विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट बैंकों के फंसे हुए कर्ज में गिरावट का खुलासा करती है।

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सभी बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2025 तक 2.5% रहने का अनुमान है। लेकिन बैंका फंसा हुआ कर्ज, यानी ग्रॉस एनपीए का रेश्यो, 3.4 प्रतिशत तक जा सकता है अगर अर्थव्यवस्था को कोई झटका लगता है। रिपोर्ट के अनुसार, कठिन परिस्थितियों में सरकारी बैंकों का फंसा हुआ कर्ज मार्च 2024 में 3.7% से मार्च 2025 में 4.1% तक जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय बैंकों का ग्रॉस एनपीए 1.2 प्रतिशत से 1.3 प्रतिशत हो सकता है, जबकि निजी बैंकों का 1.8 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत हो सकता है।

फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक तनाव, सार्वजनिक कर्ज में तेज उछाल और महंगाई में कमी की धीमी रफ्तार से जूझ रही है।हालांकि इन सभी चुनौतियों के बावजूद ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम गतिशील के साथ वित्तीय हालात स्थिर बना हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रोइकनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी ने भारत की अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल व्यवस्था को तेज और गतिशील बनाया है। बैलेंसशीट में सुधार होने के साथ-साथ बैंकों और फाइनेंशियल संस्थाएं अधिक कर्ज देकर आर्थिक गतिविधि को सपोर्ट कर रहे हैं।

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