Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा के दिन इस तरह पिंडदान करें, पूर्वजों का आशीर्वाद मिलेगा!

Chaitra Purnima 2025: हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान देते हैं। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ के अलावा पिंडदान और तर्पण भी किया जाता है।
Chaitra Purnima 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा बहुत पावन है। हर महीने एक पूर्णिमा है। चैत्र महीना अभी चल रहा है। इस महीने की समाप्ति पूर्णिमा के दिन होगी। उस दिन वैशाख का महीना शुरू होगा। चैत्र पूर्णिमा स्नान का दिन है। चैत्र पूर्णिमा के दिन लोग गंगा और अन्य शुभ नदियों में स्नान करते हैं। साथ ही दान-पुण्य करते हैं। चैत्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन किया जाता है।
इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को श्रीफल और चावल की खीर चढ़ानी चाहिए। चैत्र पूर्णिमा की तिथि पूजा-पाठ के लिए भी महत्वपूर्ण है। पितरों का तर्पण और पिंडदान इस दिन करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष मिलता है। पूर्वजों की कृपा मिलती है। अब चैत्र पूर्णिमा के दिन किस प्रकार पिंडदान करना चाहिए।
चैत्र पूर्णिमा कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा 12 अप्रैल को देर रात 3 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। साथ ही, तिथि 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि है। ऐसे में चैत्र पूर्णिमा 13 अप्रैल को उदया तिथि पर मनाई जाएगी।
पिंडदान की प्रक्रिया
चैत्र अमावस्या के दिन सबसे पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर एक वेदी बनाकर उस पर अपने पूर्वजों की तस्वीर लगाएं। फिर काले तिल, जौ, चावल और कुश को वेदी पर रखें। गाय का गोबर, आटा, तिल और जौ मिलाकर एक पिंड बना लें। फिर पितरों को पिंड अर्पित करें। पितरों को जाप करें। उनको जल दें। याद रखें कि पूर्वजों का पिंडदान जानकार पुरोहित की उपस्थिति में ही किया जाना चाहिए। पिंडदान के बाद ब्राह्मणों को भोजन और दान देना अनिवार्य है।
पिंडदान के नियम
पूर्वजों का पिंडदान गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी के तट पर जाकर करें. पिंडदान हमेशा दोपहर के समय करें. पूर्वजों के पिंडदान के लिए दोपहर का समय सबसे अच्छा माना जाता है. पिंडदान करते समय, पितरों का ध्यान करें. उनसे आशीर्वाद देने की प्रार्थना करें.