शिशु के दिमागी विकास पर Premature Delivery का क्या असर पड़ता है? चिकित्सक से परामर्श करें

Premature Delivery के क्या कारण हैं? समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों का भविष्य क्या प्रीमेच्योर बच्चों का दिमाग विकसित नहीं होता? ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रीमेच्योर बच्चा वयस्क होकर सामान्य जीवन जी सकता है?
समय पूर्व प्रसव यानी Premature Delivery । प्रीमेच्योर बच्चे आम तौर पर 37 सप्ताह से पहले पैदा होते हैं। जन्म से पहले बच्चे का जन्म होने से कई विकार या समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चों को खास देखभाल की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अक्सर अत्यंत कमजोर होती है। ऐसे बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं। प्रीमेच्योर बच्चों को सही खानपान और देखभाल मिल सकता है
यदि महिला डायबिटीज है या गर्भावस्था में है ऐसी परिस्थितियों में प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, उच्च रक्तचाप के कारण भी इसकी आशंका बनी रहती है। यह भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी कहलाता है। इसके अलावा, महिला को किडनी रोगों के कारण भी प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा गर्भाशय में संक्रमण, एक से अधिक बच्चे होना और यूटीआई। गर्भावस्था के दौरान शराब और घूम्रपान करना पोषक तत्वों की कमी से भी प्रीमेच्योर डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
नवजात शिशुओं पर प्रभाव
प्रीमेच्योर डिलीवरी बच्चे का स्वास्थ्य खराब करती है। प्रीमेच्योर होने पर बच्चे का दिमाग और दिल पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते। बच्चे की बीमारी प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है। ऐसे बच्चों को न्यूरोलॉजिकल विकारों का सामना करना पड़ा सकता है। उन्हें भूलने की समस्या और पढ़ाई में कमजोरी की आशंका रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से कई गंभीर बीमारियां भी आ सकती हैं। इस तरह के बच्चे अक्सर बीमार होते हैं। बीमारी के कारण वह अपने करियर और पढ़ाई पर भी ध्यान नहीं दे पाते
ये है निदान
प्रीमेच्योर बच्चों को विशेष पोषण और देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों को विशेष भोजन देने की सलाह देते हैं। ऐसे बच्चों को प्रोटीन, विटामिन डी, ओमेगा-3 फैटी एसिड और आयरन से भरा आहार चाहिए। इससे बच्चे का ब्रेन फंक्शन सुधरता है और उनकी पढ़ने-समझने की क्षमता बढ़ती है। बच्चों को स्किन टू स्किनकॉन्टेक्ट (कंगारू केयर) भी चाहिए। ऐसे बच्चों को आत्मविश्वास बढ़ाने वाली एक्टिविटी में शामिल करना और सही मार्गदर्शन देने की जरूरत होती है. इन बातों का ध्यान रखकर आप बच्चे के भविष्य को संवार सकते हैं।