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CM Nayab Saini ने मनरेगा में हुए फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई की, ABPO सहित पांच कर्मचारियों को सस्पेंड किया

हरियाणा के CM Nayab Saini ने मनरेगा में फर्जीवाड़े के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की है। उन्हें सीवन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय की एबीपीओ और चार जेई को तुरंत सस्पेंड करने का आदेश दिया गया है।

CM Nayab Saini ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पंद्रह दिनों के भीतर प्रस्तुत करने को कहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी) योजना में फर्जीवाड़ा का मुकदमा दर्ज किया है। सीएम सैनी ने सीवन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय की एबीपीओ प्रियंका शर्मा और चार जूनियर इंजीनियरों (जेई) को उनके वर्तमान पदों से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। साथ ही उच्चाधिकारियों को जांच करके अनियमितताओं पर कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया है।

जानें पूरा मामला क्या है

विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव को 15 दिनों के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। सीवन खंड के दो गांवों, ककराला इनायत और ककहेड़ी में मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में अनियमितता पाई गई।

परीक्षण में पता चला कि गांव ककहेड़ी में विदेश में रह रहे लोगों के लिए जाब कार्ड बनाए गए हैं। यहां तक कि रजिस्टर में फर्जी तरीके से उनकी हाजिरी लगाकर धन हड़प लिया गया।

रणधीर सिंह, अनुज और सतपाल, जो मनरेगा में गांव में तैनात थे, अब उनके पद से बर्खास्त कर दिए गए हैं। इन मेटों के काम की निगरानी की जिम्मेदारी पंचायत विभाग के एबीपीओ की होती है।

सिंचाई विभाग के चार जेई भी कार्यमुक्त

इसी तरह सरस्वती डिविजन तीन के जेई सोनू, शुभम धीमान, सलिंद्र कुमार और मुनीष कुमार के काम में अनियमितता की आशंका है। एक्सईएन दिग्विजय शर्मा ने स्पष्टीकरण की मांग की थी।

सोमवार तक स्पष्टीकरण देना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को संज्ञान लेते हुए एबीपीओ प्रियंका शर्मा और चारों जेई को वर्तमान कार्यभार से मुक्त करने के आदेश पारित कर दिए हैं।

चारों जेई इसके बाद विभाग को दिए गए हैं। उन्हें मुख्यालय और निदेशालय पर रिपोर्ट करनी होगी। ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को भेजी गई रिपोर्ट में मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि एक मामले में 11 लाख 91 हजार 400 रुपये की गड़बड़ी हुई थी और दूसरे मामले में 17 लाख 90 हजार रुपये की गड़बड़ी हुई थी।

6 आईएएस अफसरों के भी उछले थे नाम

वहीं, एक और मामले में छह आईएएस अधिकारियों को मनरेगा में करोड़ों रुपये के घोटाले में नामित किया गया था. विजिलेंस (अब एंटी क्रप्शन ब्यूरो) की एफआईआर में इन अधिकारियों को आरोपित नहीं किया गया था। विजिलेंस जांच में पाया गया था कि छह आइएएस अफसरों के हाथों करीब 3400 लाख रुपये का फंड जारी किया गया था।

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