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District Collector Shubham Chaudhary: किसान एप से अब स्वयं कर रहे रबी गिरदावरी ई-गिरदावरी करने की प्रक्रिया आसान

District Collector Shubham Chaudhary: मुख्यमंत्री की बजट घोषणा अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा किसानों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से किसानों को स्वयं द्वारा गिरदावरी करने के प्रावधान किए गए है।

District Collector Shubham Chaudhary: जिसके अन्तर्गत इस बार रबी गिरदावरी संवत 2081 का कार्य 1 जनवरी से प्रारंभ किया गया था। काश्तकार द्वारा अपने मोबाइल में गुगल प्लेस्टोर के माध्यम से राज किसान गिरदावरी एप डाउनलोड कर अपने जन आधार से लॉगिन कर ई-गिरदावरी कार्य किया जा सकता है।
District Collector Shubham Chaudhary ने कहा कि जिले के समस्त काश्तकार राज किसान गिरदावरी एप का अधिक से अधिक उपयोग कर अपनी रबी फसल की गिरदावरी खुद करें। ताकि काश्तकार की पटवारी पर निर्भरता नहीं रहे एवं फसल का सही आंकलन होकर गिरदावरी कार्य समय पर पूर्ण हो सके। जिन काश्तकारों के खेत में किसी प्रकार की फसल नहीं है तो भी निल फसल (कोई फसल नहीं है) को सलेक्ट करते हुए गिरदावरी सबमिट करें।
District Collector Shubham Chaudhary ने बताया कि सवाई माधोपुर जिले में अब तक 8 लाख 92 हजार 824 खसरों में से 1 लाख 80 हजार 110 की गिरदावरी की जा चुकी है। जिसमें वजीरपुर तहसील में 22 हजार 789, बरनाला तहसील में 13 हजार 319, गंगापुर सिटी तहसील में 12 हजार 278, मित्रपुरा तहसील में 13 हजार 55, बामनवास तहसील में 21 हजार 22, चौथ का बरवाड़ा तहसील में 20 हजार 806, सवाई माधोपुर तहसील में 39 हजार 316, बौंली तहसील में 16 हजार 859, तलावड़ा तहसील में 4 हजार 277 एवं मलारना डूंगर तहसील में 16 हजार 389 गिरदावरी की जा चुकी है। जिले में अब तक हुई गिरदावरी में से किसानों द्वारा स्वयं के स्तर पर 61 हजार 317 ई-गिरदावरी ही गयी है।
ई-गिरदावरी स्वयं के स्तर पर करने से फसल खराबे का हो सकेगा वास्तविक आंकलन:- राज्य सरकार द्वारा किसानों के द्वारा अधिक से अधिक ई-गिरदावरी किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने जिले के सभी पटवारियों को ई-गिरदावरी करने हेतु किसानों को जागरूक करने के लिए निर्देशित किया है। उन्होंने बताया कि किसान इस कार्य में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर अपने क्षेत्र के पटवारी से सम्पर्क कर गिरदावरी कार्य में सहायता ले सकते हैं। District Collector Shubham Chaudhary ने बताया कि किसानों द्वारा ई-गिरदावरी स्वयं के स्तर पर करने से फसल खराबे की वास्तविक स्थिति का आंकलन होने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा भविष्य में यदि किसी प्रकार का मुआवजा दिया जाता है तो किसानों को उसका सम्पूर्ण लाभ मिल सकेगा।
ऐसे करे ई-गिरदावरी:- सबसे पहले संबंधित ग्राम के पटवारी को अपना जन आधार भिजवाकर जन आधार अपने खसरे के साथ सीडिंग करना होगा। जिसके बाद राज किसान गिरदावरी एप डाउनलोड किया जाकर अपने जनआधार से एप लॉगिन किया जाना होगा। आधार से जुड़े मोबाइल नम्बर पर ओ.टी.पी. प्राप्त होगा, जिससे वेरिफाई होने के बाद ऐप लॉगिन हो जाएगा।
उसके बाद फसल विवरण जोड़ें पर क्लिक करना है. फिर ऊपर की साईड में जनाधार से जुड़े खसरे का ऑप्शन आयेगा, उस पर क्लिक कर अपना जिला सलेक्ट कर आगे बढ़ना होगा। जिसके पश्चात् अपने खेत का खसरा नम्बर प्रदर्शित होगा उस पर कैलिब्रेट पर क्लिक करना होगा। कैलिब्रेट करने बाद गिरदावरी सीजन एवं फसल सलेक्ट करते हुए खसरे का एरिया हेक्टेयर में अंकित करना होगा।
इसके बाद फसल सिंचित है या असिंचित एवं सिंचाई का स्रोत तथा फलदार पेड़ है तो उनकी संख्या इत्यादी अंकित करते हुए खेत-खसरे में जो फसल बो रखी है उसकी उच्च गुणवत्ता की फोटो अपलोड करनी होगी ताकि पटवारी स्तर की जांच में फसल की स्थिति स्पष्ट हो सके। उक्त प्रक्रिया के बाद प्रिंट प्रिव्यू का ऑप्शन दिखेगा, यहां क्लिक करने के बाद सबमिट का ऑप्शन रहेगा। सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करने पर काश्तकार द्वारा की गई गिरदावरी सबमिट होते हुए, पंजीकरण संख्या प्राप्त हो जाएगी।
गिरदावरी करते समय इन बातों का रखे ध्यान:- एक खाते में एक से अधिक खातेदार होने की स्थति में किसी भी एक खातेदार द्वारा संपूर्ण खसरे की गिरदावरी करें। एक खसरे में एक से अधिक फसल है तो एक से अधिक फसल की गिरदावरी सबमिट करनी होगी। गिरदावरी करते समय फसल के साथ खुद की सेल्फी फोटो की आवश्यकता नहीं है। गिरदावरी सबमिट से पहले भली भांति देखले की गिरदावरी से संबंधित समस्त विवरण सही है या नहीं। क्योंकि गिरदावरी एक बार सबमिट करने के बाद काश्तकार उस गिरदावरी में किसी प्रकार का एडिट नहीं कर पायेंगे। किसी प्रकार के एडिट की आवश्यकता रहे तो पटवारी से सम्पर्क कर वांछित एडिट करवाया जा सकता है।
ई-गिरदावरी के फायदे:- किसानों द्वारा स्वयं गिरदावरी करने से गिरदावरी कार्य में पटवारी स्तर पर निर्भरता कम रहेगी एवं वास्तविक फसल की गिरदावरी करना सम्भव हो सकेगा। साथ ही फसल का अंकन समुचित रुप से हो पाएगा।

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