Mahashivratri 2025: 4 पहर की पूजा महाशिवरात्रि में कैसे करें? विधि जानें

Mahashivratri 2025 Puja: महाशिवरात्रि ग्रहों के शुभ संयोग में मनाई जाएगी। ऐसे में व्रत दोगुना फायदा दे सकता है। महाशिवरात्रि व्रत रखने से दुःख, शोक और दरिद्रता की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
Mahashivratri 2025 Puja: 2025 में महाशिवरात्रि पर एक अत्यंत दुर्लभ संयोग होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार बुधवार को महाशिवरात्रि व्रत होगा। ग्रहों के शुभ संयोग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। ऐसे में व्रत दोगुना फायदा दे सकता है। महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र और परिघ योग में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान शिव का नाम जपने वाले मंत्र बहुत अच्छा काम करता है। वहीं, परिघ योग में नया काम करने पर वह पूरी तरह से सफल होता है। 26 फरवरी की सुबह त्रयोदशी तिथि को 11:08 बजे तक रहेगा। तब चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 27 फरवरी गुरुवार को प्रातः 08:54 बजे तक चलेगी।
महाशिवरात्रि पर चार पहर पूजा करने का तरीका: महाशिवरात्रि व्रत को करने से दुःख, शोक और दरिद्रता के साथ सभी प्रकार की बीमारियाँ दूर होने लगती हैं। शिव परिवार को पूजन कर जागरण करना चाहिए। शिवलिंग करने से पहले पंचामृत चढ़ाना चाहिए। जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं, उन्हें पहले प्रहर का अभिषेक जल, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करना चाहिए। चंदन, दूध, गुलाब जल, दही, शहद, घी, चीनी और जल से भगवान शिव को तिलक और भस्म लगाएं। वैसे तो भोलेनाथ को कई ऋतुफल अर्पित किए जाते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर बेर चाहिए। बेर को जीवन का प्रतीक मानते हैं।
ग्रहों का अद्भुत संयोजन: पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन राहु और शुक्र दो ग्रह मीन राशि में गोचर करेंगे। दोनों ग्रहों को एक साथ होना दुनिया को फायदा देगा। सूर्य, शनि और बुध भी कुम्भ राशि में होंगे। माना जाता है कि बुध सूर्य से मिलकर सुख, समृद्धि और आरोग्यता लाता है। हर क्षेत्र में बदलाव होता है। सूर्य और बुध ऐश्वर्य, शांति, सौंदर्य और सांसारिक भोग का प्रतीक हैं। महाशिवरात्रि के दिन मकर राशि में और रात्रि में कुम्भ राशि में मन के कारक चन्द्रमा रहेंगे, जो शांति, सुख और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।