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Haryana news: नायब सरकार ने मंडल आयुक्तों की शक्तियों में कटौती की

Haryana news: हरियाणा सरकार ने फिर से राज्य के मंडल आयुक्तों के अधिकारों में कटौती की है। प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल में लिए गए फैसले को पलट दिया है। आईएएस और आईपीएस लॉबी में बढ़ते विवाद को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है। इस समय अंबाला, रोहतक, गुरुग्राम और रेवाड़ी रेंज हरियाणा में हैं। यहां सिविल प्रशासन की तरफ से मंडल आयुक्त तथा पुलिस की तरफ से रेंज के आईजी को तैनात किया जाता है।

वास्तविकता यह है कि सरकार द्वारा प्रमोटी आईएएस और सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंचे अधिकारियों को ही मंडल आयुक्त नियुक्त किया जाता है। दूसरी तरफ पुलिस रूल्स के अनुसार सीधे आईपीएस भर्ती हुए अथवा वरिष्ठ आईपीएस को रेंज का आईजी लगाया जाता है। यही कारण है कि कई जिलों में सीधे भर्ती होने वाले आईएएस अथवा वरिष्ठ आईएएस उपायुक्त व आईपीएस को एसपी लगाया जाता है।

ज्यादातर जिलों में, आईएएस भर्ती होकर उपायुक्त बनने वाले अधिकारी पद में बड़ा होने के बावजूद, मंडल आयुक्तों द्वारा बुलाई गई बैठकों में खुद जाने की बजाय अपने जूनियर एडीसी को भेजा जाता है। 9 जनवरी को सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर पत्र जारी करके कहा कि मंडल आयुक्त आईजी पुलिस रेंज, उपायुक्त और एसपी के साथ मासिक समीक्षा बैठकें करेंगे। इसकी  मासिक रिपोर्ट को मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए थे।

इन बैठकों में संवेदनशीलता तथा भड़काने वाले मुद्दे, बड़ी घटनाएं, इंटरनेट सेवाओं को बाधित करने, कैदियों को पैरोल आदि पर निर्णय लिए गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस फैसले के पीछे आईएएस और आईपीएल लॉबी में सहयोग को मजबूत करने का तर्क दिया था। अफसरशाही ने खारिज कर दिया है। आईपीएस लॉबी ने मनोहर सरकार के समय में हुए इस निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सीनियर रैंक के अधिकारी होने के कारण रेंज के आईजी को इन बैठकों में जाना असहज था। इसके परिणामस्वरूप सोमवार रात सरकार ने जनवरी माह में लिया गया फैसला वापस ले लिया।

प्रदेश के सभी मंडल आयुक्तों और रेंज के आईजी को मंगलवार को सूचित किया गया कि 9 जनवरी को जारी निर्देश पत्र में संयुक्त रिव्यू बैठक वाले कॉलम को हटाया जाएगा। पुलिस प्रशासन के अधिकारी और मंडल आयुक्त पहले की तरह अपने-अपने स्तर पर बैठकें करके रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगे।

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