Health News: नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी युवाओं में तेजी से फैल रही है; एक्सपर्ट से जानें वजह और बचाव कैसे करें?

Health News: फैटी लिवर पहले बुजुर्गों की बीमारी थी, लेकिन आज भारत के युवा लोगों में भी तेजी से फैल रहा है। ऐसे में जानते हैं नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज कंट्रोल करने के लिए क्या करें?
Health News: फैटी लिवर पहले बुजुर्गों की बीमारी थी, लेकिन आज भारत के युवा लोगों में भी तेजी से फैल रहा है। यह अब एक महत्वपूर्ण जनस्वास्थ्य समस्या बन गया है। मेडिकल साइंस में अब नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) को मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटो टिक लिवर डिजीज (MASLD) कहा जाता है। यह समस्या अब केवल मोटापे या मधुमेह तक सीमित नहीं रही। युवा, दुबले-पतले और सामान्य BMI वाले लोगों में भी यह तेजी से फैल रही है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय की एक स्टडी ने पाया कि MASLD IT क्षेत्र में काम करने वाले 80% से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। इनमें से 71% मोटापे के शिकार थे, जबकि 34% में मेटाबॉलिक सिंड्रोम था। डॉ. अंकुर गर्ग, आकाश हेल्थकेयर के डायरेक्टर, लिवर और जीआई डिजीजेस, कहते हैं, “यह एक वेकअप कॉल है।” यह स्थिति फाइब्रोसिस, सिरोसिस, लीवर कैंसर या नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) तक पहुंच सकती है अगर समय रहते इलाज नहीं लिया जाता है। ऐसे में जानते हैं नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज कंट्रोल करने के लिए क्या करें?
ये गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं:
नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज से लिवर में धीरे-धीरे चर्बी जमती है। शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, इसलिए पहचानने में समय लगता है। जब थकान, पेट में भारीपन या वजन कम होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तब तक नुकसान काफी हो चुका होता है।
फैटी लिवर के कारण
विशेषज्ञों का मत है कि लिवर में मोटापे का मुख्य कारण बैठे रहना, व्यायाम न करना और प्रोसेस्ड खाना खाना है। डॉ. अंकुर गर्ग बताते हैं, “सेडेंटरी लाइफ इंसुलिन सेंसिटिविटी को कम करता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है- यही सबसे अधिक फैटी लिवर का कारण है।
मानसिक स्वास्थ्य भी खतरे में है:
नए अध्ययन के अनुसार, फैटी लिवर बीमारी, खासकर जब यह गंभीर हो जाती है, मस्तिष्क पर भी प्रभाव डाल सकती है। शरीर से घातक पदार्थों को निकालना लिवर का काम है। अमोनिया जैसे टॉक्सिन्स मस्तिष्क में पहुंचते हैं जब लिवर कमजोर होता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
आप बचाव ऐसे कर सकते हैं:
चिकित्सकों का सुझाव है कि लोगों को जोखिम में डालने वालों के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट को नियमित स्वास्थ्य जांच में शामिल किया जाए। अगर, युवा रोज़ाना 30 मिनट की एक्सरसाइज करें, प्रोसेस्ड फूड से परहेज़ करें और फाइबर युक्त भोजन लें, तो फैटी लिवर से बचा जा सकता है। साथ ही इस विषय पर जनजागरूकता अभियान भी चलाएं जाने चाहिए।