History Of Jalebi: भारतीयों की पसंदीदा मिठाई जलेबी का रोचक इतिहास भी है, जानिए भारतीयों की पसंदीदा मिठाई कैसे बनी
History Of Jalebi: हम आज स्वाद का सफर में जलेबी के बारे में बात करेंगे. आपको बता दें कि जलेबी सिर्फ भारत की मिठाई नहीं है, इसकी जड़ें दुनिया के दूसरे हिस्सों से भी जुड़ी हैं।
History Of Jalebi: जब भी ये प्लेट पर आती है, सोने की चमक और अंदर से रस भरी लगती है, यह टेढ़ी मेढ़ी जलेबी सभी को पसंद आती है। यह नाश्ते में दूध और रबड़ी के साथ मिलाया जाता है। अब जलेबी हमारे त्योहारों और छुट्टियों का एक हिस्सा है, और दशहरे पर भी जलेबी का खास महत्व है। पौराणिक कहानियों के अनुसार, भगवान राम ने शशकुली नाम की मिठाई खाई, जो अब जलेबी कहलाती है। अब स्पष्ट है कि जलेबी की उत्पत्ति बहुत पुरानी है? ये भी घुमावदार है। आज स्वाद का सफर में हम जलेबी पर चर्चा करेंगे। आपको बता दें कि जलेबी भारत की मिठाई नहीं है; यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पुरानी मध्य-पूर्व की गलियों में एक सुगंध है। इस जलेबी को 10वीं शताब्दी के फारस में ‘जुलाबिया’ कहा जाता था। ये मिठाई कैसे भारतीयों के दिल पर राज करने लगी !”
जलेबी की शुरुआत
हौब्सन-जौब्सन ने कहा कि अरेबिक शब्द ‘जलाबिया’ या फारसी शब्द ‘जलिबिया’ से जलेबी शब्द निकला है। “जलाबिया” नामक मिठाई, जो पश्चिम एशिया में पैदा हुई थी, “किताब-अल-तबीक़” में बताई गई है। ईरान में इसे “जुलाबिया या जुलुबिया” कहा जाता है। 10वीं सदी की एक अरेबिक पाक कला पुस्तक में ‘जुलुबिया’ बनाने की कई रेसिपीज़ का उल्लेख है। जैन लेखक जिनासुर की पुस्तक ‘प्रियंकरनरपकथा’ में भी इसी तरह की मिठाई का उल्लेख है। 17 वीं शताब्दी की एक पुस्तक ‘भोजनकुटुहला’ और संस्कृत पुस्तक ‘गुण्यगुणबोधिनी’ में भी जलेबी का जिक्र है,
माना जाता है कि ये फ़ारसी और तुर्की व्यापारी मध्यकाल में भारत आए और इसके बाद से हमारे देश में भी इसे बनाया जाता था। इसलिए कई लोग जलेबी को एकमात्र भारतीय मिठाई मानते हैं। शरदचंद्र पेंढारकर बताते हैं कि जलेबी का मूल भारतीय नाम कुंडलिका था। वे इस व्यंजन को बनाने की प्रक्रिया को बताने वाले रघुनाथ के ग्रंथ, “भोज कुतूहल” का भी उल्लेख करते हैं। भारतीय मूल को उजागर करने के लिए इसे “जल-वल्लिका” कहा जाता है। यह रस से भरा था, इसलिए इसे यह नाम मिला. बाद में इसका रूप जलेबी हो गया।
किन नामों से जानी जाती है जलेबी?
वहीं भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बंगाल में इसे ‘चनार’ कहते हैं। यह इंदौर में जलेबा, मध्य प्रदेश में मावा जंबी, हैदराबाद में खोवा जंबी, आंध्र प्रदेश में इमरती या जांगिरी भी कहलाता है।