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Lok Sabha Elections: बिहार में जाति हावी है, जबकि राजस्थान में कांग्रेस प्रतिस्पर्धी है, भाजपा को चुनौती देने वाले चार राज्य

Lok Sabha Elections

भाजपा ने पिछले Lok Sabha Elections में तीन सौ का आंकड़ा पार किया था, लेकिन उसके गठबंधन ने इन चारों राज्यों की 103 सीटों में से 99 पर जीत हासिल की थी, जबकि महज चार सीटें विपक्ष के पास गईं।

भाजपा की Lok Sabha Elections रणनीति के लिए कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा और बिहार के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बहुत महत्वपूर्ण हैं। भाजपा को इन राज्यों में अपने अंदरूनी समस्याओं के अलावा विपक्ष की तरफ से कई सीटों पर चुनौती मिलने की संभावना है। भाजपा और एनडीए ने इन राज्यों में पिछले चुनावों में बड़ी जीत हासिल की थी।

भाजपा ने पिछले Lok Sabha Elections में तीन सौ का आंकड़ा पार किया था, लेकिन उसके गठबंधन ने इन चारों राज्यों की 103 सीटों में से 99 पर जीत हासिल की थी, जबकि महज चार सीटें विपक्ष के पास गईं। भाजपा भी इस आंकड़े को इस चुनाव में दोहराना चाहती है, लेकिन टिकट वितरण, बाहर से आए नेताओं को टिकट देना, नए सहयोगी और विपक्ष की रणनीति के मुद्दों से निपटना पड़ रहा है।

कर्नाटक में सबसे ज्यादा मुश्किलें

भाजपा के लिए कर्नाटक सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। पिछले आम चुनाव में भाजपा ने 28 में से 25 सीट जीती थीं। विधानसभा चुनाव में उसे कांग्रेस से करारी हार मिली। भाजपा ने इस आम चुनाव में जद (एस) के साथ गठबंधन किया है ताकि सामाजिक समीकरण बनाया जा सके। जद (एस) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और उनका इस समुदाय पर काफी प्रभाव है. दूसरी ओर, बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य का शक्तिशाली लिंगायत समुदाय भाजपा का समर्थक है।

लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने से हालात बदल गए हैं। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने वोक्कालिगा समुदाय में एक मजबूत नेता का दर्जा हासिल किया है। भाजपा को जद (एस) के साथ जाने से मिलने वाला लाभ संशयपूर्ण है। साथ ही भाजपा ने अपने मौजूदा सांसदों सदानंद गौड़ा, अनंत हेगड़े और नलिन कटील को टिकट नहीं देने से भी नाराज है।

हरियाणा में कड़ा मुकाबला

भाजपा ने हरियाणा में पिछली बार सभी 10 सीटें जीती थीं। पार्टी ने हाल में मुख्यमंत्री बदलकर अपनी रणनीति भी बदली है, हालांकि इस क्षेत्र में मुकाबला कड़ा हो सकता है। पार्टी ने कुरुक्षेत्र में नवीन जिंदल (कांग्रेस से) और सिरसा में अशोक तंवर (हाल ही में पार्टी में शामिल हुए) को टिकट दिया है। पार्टी इससे नाराज़ है।

राजस्थान में कांग्रेस दे रही टक्कर

भाजपा ने पिछले चुनाव में गठबंधन में राजस्थान की सभी 25 सीटें जीती थीं। इसमें 24 उसने खुद और एक पर तब की सहयोगी आरएलपी जीती थी। राज्य में इस बार भाजपा की सरकार है, लेकिन बांसबाड़ा, कोटा, बाड़मेर, चुरू और अलवर में कांग्रेस के उम्मीदवार को कड़ी चुनौती मिल रही है।

बिहार में जातिगत समीकरण अहम

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने बिहार में हुए चुनाव में 40 में से 39 सीटें जीती थीं। भाजपा का गठबंधन इस बार भी समान है। दो अन्य दल भी इसमें शामिल हैं। राजद भी इस बीच बहुत मजबूत हुआ है। यहां जातिगत सामाजिक समीकरण बहुत अहम है। राजद और उसके सहयोगी कुछ सीटों पर कठिन चुनौती दे सकते हैं।

 

 

 

 

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