स्वास्थ्य

आप ये गलती तो नहीं कर रहे? ये समस्या है क्योंकि मरीज शुगर के हैं, लेकिन वे कैंसर की दवा ले रहे हैं।

बाजारों में सॉल्ट लेनालिडोमाइड (कैंसर का इलाज) और सॉल्ट लिनग्लिप्टिन (शुगर का इलाज) नामक दवा उपलब्ध हैं। सावधान रहिए अगर आप भी यह दवा लेने जा रहे हैं क्योंकि ऐसा हो सकता है कि आपको शुगर की जगह कैंसर या शुगर की जगह कैंसर की दवा मिल जाए।

न्यूज इंडिया 4यू की टीम ने इस मामले की जांच करने के लिए एक फार्मासिस्ट से मुलाकात की. फार्मासिस्ट ने कहा कि यह एक संभावित घटना है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हम सिर्फ देखकर दवा देते हैं और हमारे पास यह मेडिसिन भी नहीं है, लेकिन कभी-कभी जल्दबाजी में कोई गलत दवा दे सकता है। मेडिसिन को सेम नहीं कहना चाहिए हम सॉल्व देखकर दवा देते हैं, लेकिन आम तौर पर लोग सिर्फ नाम देखकर दवा लेते हैं, इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए और इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि क्या मैन्युफैक्चरिंग की गलती हुई है या किसी अन्य गलती हुई है।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल भी पूरी तरह से इस मामले को देख रही है और बहुत चिंतित है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेसिडेंट अरुण गुप्ता ने न्यूज़ 18 से बातचीत में कहा कि बिल्कुल इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है और इससे पहले भी हम कई बार इसके बारे में अपनी राय रख चुके हैं क्योंकि कई बीमारियों की एक मेडिसिन होने से सबसे अधिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसा नहीं होना चाहते हैं।

इसका गलत उपचार हो सकता है

अरुण गुप्ता ने कहा कि एक पीडियाट्रिशियन की तरह बात करूं तो जब हम दवा या सिरप लिखते हैं तो बच्चों के लिए भी बहुत ज्यादा मुश्किल होती है। यह एक मामला है, लेकिन कई बार एक नाम की कई दवाएं मिल जाती हैं। बस एक अलग अल्फाबेट या कोई संकेत होता है। उसके बाद नाम और स्पेलिंग बदलने से कई लोगों को गलत इलाज हो सकता है।

इस पर सजा चाहिए: अरुण कुमार गुप्ता

उन् होंने कहा कि इसे पूरी तरह से सजा देनी चाहिए, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा और किसकी जिम्मेदारी होगी। क्योंकि यह कई सालों से चल रहा है और लोग अक्सर जल्दबाजी में दवा लेते हैं जब उनकी बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती डीएमसी ने न्यूज इंडिया 4यू के माध्यम से इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की भी अपील की।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय इस पर संज्ञान लेगा

डीसीजीआई के एक ऑफिशियल सूत्र ने कहा कि जब भी कोई लाइसेंस जारी होता है या किसी दवा का नाम दिया जाता है, तो यह साल्ट के माध्यम से दिया जाता है, तो यह एक मैन्युफैक्चरिंग गलती हो सकती है। निर्माता को साल्ट का नाम नहीं रखना रिस्पांसिबिलिटी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस पर पूरी तरह से संज्ञान लिया जाएगा।

न्यूज इंडिया 4यू भी आपसे अपील करता है कि अगर आप इस तरह की कोई दवा लेने जा रहे हैं तो बहुत जरूरी है कि आप सावधान रहें और साल्ट के बारे में अच्छी तरह से जानकारी लें, क्योंकि यह आपको कई समस्याओं से बचाने में भी मदद कर सकता है।

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