स्वास्थ्य

Parkinson Disease Symptoms: क्या है पार्किंसंस रोग, हर साल चपेट में लाखों लोगआते हैं; जानिए लक्षण और बचाव के तरीके

Parkinson Disease Symptoms: (World Parkinson’s Day 2025) लाखों लोग हर साल पार्किंसंस से पीड़ित होते हैं। ये एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो उम्र के साथ विकसित होती है। जानिए पार्किंसंस के लक्षण क्या हैं और इसके खतरे से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

Parkinson Disease Symptoms: एक उम्र के बाद शरीर में कई बीमारियां आने लगती हैं। पार्किंसंस रोग का खतरा भी उम्र के साथ बढ़ता है। 60 वर्ष की उम्र में बहुत से लोगों में पार्किंसंस के लक्षण बढ़ जाते हैं। इसके बावजूद, चालीस वर्ष की उम्र में भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जो इस बीमारी का खतरा जल्दी बढ़ा सकते हैं। सही देखभाल और इलाज पार्किंसंस का खतरा कम कर सकता है। दरअसल, पार्किंसंस एक मूवमेंट डिसऑर्डर है जो एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को चलना-फिरना और दैनिक काम करना भी कठिन हो जाता है। जब मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, तो नियंत्रण खो जाता है। सिर और दूसरे अंगों का संतुलन, धीमापन, अकड़न और कंपन खोने लगता है। स्थिति खराब होने पर चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। पार्किंसंस के खतरे को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?

पार्किंसंस रोग में दिमाग में तंत्रिका कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) धीरे-धीरे टूट या मर जाती हैं। जिससे डोपामाइन नामक रासायनिक संदेशवाहक न्यूरॉन्स, जो इसे बनाते हैं, ब्रेन में कम हो जाता है। जब डोपामाइन कम होता है, तो अनियमित मानसिक कार्य होता है। जो पार्किंसंस के लक्षण और संकेत दिखाता है।

पार्किंसंस के क्या लक्षण हैं?

डॉक्टर उपासना गर्ग (रीजनल टेक्निकल चीफ, अपोलो डायग्नोसिस मुंबई) का कहना है कि लोग अक्सर पार्किंसंस के लक्षणों को बढ़ती उम्र मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लक्षणों को समझने पर शुरुआत में ही नियंत्रित किया जा सकता है। प्रमुख लक्षणों में हाथ कांपना, आराम करते वक्त भी हाथ कंपन होना, चलने फिरने या किसी तरह के काम में धीरे होना, हाथ पैरों में अकड़न महसूस होना, मोशन में मुश्किल होना, बैलेंस बनाने में मुश्किल होना, पॉश्चर खराब होने से गिरना और चोट लगना, बोलने में मुश्किल होना शामिल हैं। हालांकि सभी में ये सारे लक्षण दिखाई दें ऐसा जरूरी नहीं है। इनमें से कोई भी लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर को दिखाएं।

पार्किंसंस के कारण

हालाँकि अभी तक पार्किंसंस का मुख्य कारण नहीं पता चला है, कई अध्ययनों ने पाया है कि जेनेटिक और कुछ वातावरणीय घटक इस बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं। सिर में चोट लगने, पारिवारिक कराण पार्किंसंस और कुछ विशिष्ट टॉक्सिन का खतरा बहुत बढ़ जाता है। इसमें बढ़ती उम्र भी महत्वपूर्ण है। पार्किंसंस की जटिलताओं में निमोनिया या गिरने से चोट लगने से व्यक्ति की असमय मृत्यु भी हो सकती है।

पार्किंसंस से बचने के उपाय क्या हैं?

डॉक्टर गर्ग का कहना है कि शुरुआती जांच पार्किंसंस के खतरे को कम कर सकती है। इसे दवा से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आप थैरेपीज और अपने जीवनशैली में बदलाव भी कर सकते हैं। न्योरोलॉजिकल जांच, फैमिली मेडिकल हिस्टी, DaTscan (dopamine transporter scan), MRI भी इसका पता लगाने में मदद करते हैं।

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