Passive Smoking: धूम्रपान करने वालों के साथ रहने पर क्या आप कैंसर का शिकार हो सकते हैं?
Passive Smoking: WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू का सेवन हर साल लगभग 80 लाख लोगों को कैंसर से मार देता है। इसमें 12 लाख ऐसे लोग होते हैं जिनकी मौत अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू का सेवन करने से होती है.
Passive Smoking: तंबाकू आपके स्वास्थ्य को खराब करता है और कर्क (कैंसर) रोग का कारण बन सकता है।हर सिगरेट के डिब्बे पर ये लाइन मिलेगी। लेकिन इसके बाद भी लोगों का सिगरेट पीना कम नहीं होता है। अब तक आपने सुना होगा कि सिगरेट पीने वाले ही कैंसर का शिकार होते हैं…।लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि सिगरेट पीने वालों के साथ रहने वाले को भी कैंसर हो गया हो । हैदराबाद की नलिनी भी चर्चा में थी। जिनको उनके पति के सिगरेट की लत की वजह से कैंसर हुआ था। आपको बताते हैं कि सामने वाले के सिगरेट पीने से आप मौत के कितने करीब होते हैं।
हैदराबाद की नलिनी का क्या मामला है?
हैदराबाद में नलिनी सत्यानारायण नाम की एक महिला रहती हैं। 2010 में, उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हुईं और परीक्षण कराया गया, तो पता चला कि उन्हें कैंसर था। उन्होंने तंबाकू कभी नहीं खाया था। अब प्रश्न उठता है कि फिर क्या हुआ? नलिनी ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी शादी को 33 साल से अधिक हो गए हैं। उनके पति एक चैन स्मोकर हैं, इस वजह से वो ना चाहते हुए भी हर रोज सिगरेट का धुंआ अपने अंदर इनहेल करती हैं। सीधे शब्दों में, अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है, तो सिगरेट का धुंआ आपके फेफड़ों में भी जाता है, इसलिए आप बिना सिगरेट पीए भी कैंसर का शिकार हो सकते हैं।
कितने लोग इस तरह मरते हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू के सेवन से हर साल लगभग 80 लाख लोग कैंसर से मर जाते हैं। 1इसमें 12 लाख ऐसे लोग होते हैं जिनकी मौत अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू का सेवन करने से होती है। यानी ये लोग सिर्फ इसलिए मर जाते हैं कि वे सिगरेट पीने वालों के साथ रहते हैं। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल तंबाकू सेवन से मरने वालों की संख्या 13.5 लाख से अधिक है। अब आपको समझना होगा कि भले ही आप सिगरेट नहीं पीते हों, लेकिन अगर आपके आसपास कोई सिगरेट पीता है तो वह आपको मौत के नजदीक ले जा रहा है.
लोग तंबाकू से दूरी बना रहे हैं
WHO ने कहा कि तंबाकू से होने वाले खतरे के प्रति दुनिया भर में लोग जागरुक हो रहे हैं। यही कारण है कि तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या पहले से अधिक नहीं है। 2000 से 2020 की तुलना करें तो तंबाकू पीने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। 2000 में, 15 साल की उम्र से ऊपर के करीब 32% लोग तंबाकू का सेवन करते थे। वहीं 2020 में ये दर घटकर 20% हो गई।
पुरुषों और महिलाओं में, 2000 में 49% पुरुषों और 37% महिलाओं ने तंबाकू का सेवन करते थे, लेकिन 2020 में ये दरें घटकर 16% और 8% रह गईं। इसके बावजूद, आज भी तंबाकू के सेवन से हर साल लाखों लोग मर जाते हैं। वहीं इसका असर बच्चों पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैसिव स्मोकिंग, यानी अप्रत्यक्ष रूप से स्मोकिंग करने से हर साल लगभग 65 हजार बच्चे मर जाते हैं।