Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज कब और क्यों मनाया जाता है? श्रीकृष्ण से जुड़ा है पर्व
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होली से पहले फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2025) का त्योहार मनाया जाता है।
Phulera Dooj 2025: इस शुभ दिन फूलों की होली होती है। मथुरा और वृंदावन में इस बड़े पर्व को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इसलिए आइए जानते हैं इस उत्सव को मनाने की खास वजह।
पंचांग के अनुसार, फुलेरा दूज हर साल फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है (2025) यह पर्व श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। इस तिथि पर श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने का विधान है। श्रीकृष्ण और राधा रानी भी फूलों से सजाए जाते हैं। इस दिन ब्रज में एक अलग रौनक देखने को मिलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फुलेरा दूज पर सच्चे मन से श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं और जीवन में सफलता मिलती है। इसलिए, आइए जानते हैं इस उत्सव से जुड़ी विशिष्ट बातें।
फुलेरा दूज 2025 का दिन और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पहली मार्च को 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और दूसरी मार्च को 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। 01 मार्च को देश भर में फुलेरा दूज मनाया जाएगा।
अमृत काल – सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक
फुलेरा दूज की कथा
पौराणिक कहानी कहती है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण बहुत दिनों तक राधा रानी से नहीं मिल पाए, जिससे राधा रानी परेशान हो गईं। कृष्ण को नहीं देखकर राधा-रानी उदास हो गईं और मथुरा के फूल मुरझा गए। भगवान श्रीकृष्ण ने यह जानकर खुद उनसे मिलने आए। इससे मथुरा के आसपास हरियाली छा गई। इस दौरान, कान्हा ने राधा रानी पर फूल डाले।
फिर श्रीकृष्ण ने भी राधा के साथ ऐसा ही किया। ग्वाल बाल और गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूल बरसाने लगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तभी फुलेरा दूज का पर्व मनाया गया था।