धर्म

Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष की तिथियां, पितरों को प्रसन्न करने के तरीके, श्राद्ध के प्रतीक और जाने कौन सी चीजें हैं वर्जित

Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha 2024: ऋषियों ने हमारे जीवन चक्र को सोलह संस्कारों में बांधा है। यदि गर्भाधान पहला संस्कार है तो पितृमेघ या अंत्येष्टि दूसरा है। पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक चलने वाले सोलह दिनों का नाम है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक इस बार शुभ तिथियां हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म लेते ही तीन ऋणों का सामना करता है: देव ऋण, ऋषिऋण और पितृऋण। श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण से निवृत्ति प्राप्त होती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भक्ति पूर्वक तर्पण (पितरों को जल देना) करना चाहिए।

इस तरह अपने पितरों को प्रसन्न करें

पितरों को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में उनकी मृत्यु तिथि को जल, तिल, चावल, जौ और कुश पिंड बनाकर या केवल सांकल्पिक विधि से श्राद्ध करके, गौ ग्रास निकालकर और उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करा देने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी प्रसन्नता ही पितृ ऋण से मुक्त करा देती है। पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अनुष्ठान है।

श्राद्ध पांच प्रकार के होते हैं

पार्वण श्राद्ध पितृपक्ष का श्राद्ध है। इनमें अपराह्न व्यापिनी तिथि सबसे महत्वपूर्ण है। जिनकी मृत्यु तिथि का पता न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाना चाहिए। मृत्यु होने वाले दिन हमेशा श्राद्ध करना चाहिए। जो लोग अग्नि में जलकर, विष खाकर, दुर्घटना में या पानी में डूबकर, शस्त्र से या अन्य कारणों से मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध चर्तुदशी को करना चाहिए। सनातन संस्कृति को मानने वाले सभी लोगों को आश्विन कृष्ण पक्ष में हर दिन अपने पूर्वजों का श्रद्धापूर्वक स्मरण करना चाहिए. ऐसा करने से पितर संतृप्त होकर हमें आशीर्वाद देते हैं। पितरों के लिए आश्विन मास का कृष्ण पक्ष उत्सव का समय है। इसमें ये तिलांजलि और पिंडदान की आशा लेकर पृथ्वी पर आते हैं। पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध का परित्याग न करें।

श्राद्ध के प्रतीक

श्राद्ध के तत्वों में कुश, तिल, यव गाय, कौवा और कुत्ता शामिल हैं। कुशा के अग्र भाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर का निवास माना गया है। कौवा यम का प्रतीक है, जो दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है। गाय तो वैतरणी से पार लगाने वाली है ही। दैनिक जीवन में भी भोजन की पहली मढ़की गाय को देते हैं। कुत्ते को श्राद्ध का एक भाग देने से यमराज प्रसन्न होते हैं।

श्राद्ध के दौरान ब्राह्मण

कथा, विवाह, पूजा-अनुष्ठान, उद्यापन आदि में चाहे ब्राह्मणों की परीक्षा न करें, लेकिन पितृ कार्य में जरूर करें। समस्त पीढ़ियों से विख्यात ब्राह्मणों के द्वारा संयत रहकर श्राद्ध करें, जो सभी लक्षणों से युक्त, हाथ का सच्चा, व्याकरण का विद्वान, शील और सद्गुणों से युक्त हैं।

श्राद्धकर्ता के लिए वर्जित

पितृपक्ष में श्राद्धकर्ता को बाल या नाखून नहीं कटवाना चाहिए। श्राद्धकर्ता के लिए ये सात बातें वर्जित हैं: ब्रह्मचर्य का पालन, पान खाना, किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन, तेल मालिश और परान्न भोजन। श्राद्ध के अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां

  • 17 सितंबर पूर्णिमा श्राद्ध
  • 18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध
  • 19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध
  • 20 सितंबर तृतीया श्राद्ध
  • 21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध
  • 22 सितंबर पंचमी श्राद्ध
  • 23 सितंबर षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध
  • 24 सितंबर अष्टमी श्राद्ध
  • 25 सितंबर नवमी श्राद्ध
  • 26 सितंबर दशमी श्राद्ध
  • 27 सितंबर एकादशी श्राद्ध
  • 29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध
  • 30 सितंबर त्रयोदशी श्राद्ध
  • 1 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध
  • 2 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या (समापन)

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