Pradosh Vrat Date And Time: कल है गुरु प्रदोष व्रत, जानें गुरु प्रदोष व्रत का समय, मुहूर्त, विधि और महत्व

Pradosh Vrat Date And Time: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बहुत अधिक पुण्यदायी है। महीने में दो बार यह व्रत रखा जाता है। इसमें शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि हैं।
Pradosh Vrat Date And Time: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बहुत अधिक पुण्यदायी है। महीने में दो बार यह व्रत रखा जाता है। इसमें शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि हैं। इस व्रत को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इसे रखने से शिवजी और मां पार्वती सभी दुःख दूर करते हैं। प्रदोषव्रत गुरु प्रदोष 10 अप्रैल को होगा। इस व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व है। इस बार गुरु प्रदोष व्रत है।
किस प्रकार पूजा करें
आज सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद व्रत करने का विचार करें। इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, क्योंकि इसका नाम प्रदोष व्रत है। सूर्यास्त के पहले और बाद के 48 मिनट पहले का समय प्रदोश काल कहलाता है। इस व्रत में पूजा करते समय मौन रहकर भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा को रखें। शाम को पंचामृत से उन्हें स्नान कराएं। उन्हें भांग, धतूरा, सफेद फूल, शृंगार के सामान, फल और मिठाई दीजिए। गौरी चालीसा पढ़ें।
गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत तिथि का आरंभ: 9 अप्रैल 2025 की रात 10:54 मिनट से
गुरु प्रदोष व्रत तिथि का समापन: 11 अप्रैल की रात 1:00 बजे तक रहेगी
आपको बता दें कि त्रयोदशी का प्रदोष 10 अप्रैल को है। प्रदोष काल 6:30 बजे से 8:00 बजे तक चलता है।
प्रदोष व्रत के लाभ
आपको बता दें कि भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है। पुराणों के अनुसार, प्रदोष व्रत कई कष्टों को दूर करता है। यह व्रत खासकर किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए बहुत विशिष्ट है। यह भी कहा जाता है कि गुरु प्रदोष व्रत करने से 100 गायें दान करने और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। इस व्रत को रखने से शनि के दोष भी दूर हो जाते हैं। इसलिए यह व्रत शनि साढ़ेसाती वालों को भी फायदेमंद होता है।