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Shattila Ekadashi: 25 जनवरी कोज्येष्ठा नक्षत्र और धुव्र योग में षटतिला एकादशी, व्रत की पूरी जानकारी यहाँ।

Shattila Ekadashi: माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की षटतिला एकादशी 25 जनवरी को है। बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मोक्ष मिलता है, भगवान विष्णु की कृपा बरसती है और साथ ही बिगड़े काम बन जाते हैं।

Shattila Ekadashi: 25 जनवरी को माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की षटतिला एकादशी है। 24 जनवरी को शाम 4 बजकर 51 मिनट पर एकादशी शुरू होगी और 25 जनवरी को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर एकादशी खत्म होगी। षटतिला एकादशी हर साल माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मोक्ष मिलता है, भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और बुरे काम भी होते हैं। इस एकादशी तिथि पर तिल और अन्न दान करने से अमोघ फल मिलता है।

षटतिला एकादशी का महत्व क्या है?

एकादशी व्रत करने से जीवन में सभी अच्छे और बुरे काम मिलते हैं, एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और कृपा पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। एकादशी व्रत रखने से जीवन में सभी सुख मिलते हैं और आप चाहते हैं कि ऐसा हो। महिला और पुरुष दोनों एकादशी व्रत रख सकते हैं। माघ मास में षटतिला एकादशी व्रत है। षटतिला एकादशी का अपना विशिष्ट महत्व है।

तिल का षटतिला एकादशी पर महत्व:

पद्म पुराण कहता है कि षटतिला एकादशी पर तिल का भोग और भगवान विष्णु की पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। तिल एकादशी के दिन दान करने से पापों से छुटकारा मिलता है. इस दिन तिलों से स्नान, दान, तर्पण, हवन, तिलयुक्त भोजन और तिलयुक्त जल से पूजन भी किया जाता है। तिल के इन छह प्रयोगों से इसे षटतिला एकादशी कहते हैं। वैष्णव लोग एकादशी तिथि पर पूरी तरह से व्रत रखते हैं और भक्तिपूर्वक लक्ष्मीनारायण की पूजा करते हैं। एकादशी के दिन भी विशेष उपाय किए जाते हैं।

भगवान विष्णु की प्रिय एकादशियों में एक

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु की सबसे प्यारी एकादशी है। इस एकादशी का व्रत रखने से हर मनोकामना पूरी होगी और घर में सुख-समृद्धि आ जाएगी। षटतिला एकादशी व्रत करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है। वाजपेयी यज्ञ के बराबर पुण्य फल केवल व्रत की कथा सुनने से मिलता है। यह व्रत वाचिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह के पापों से मुक्ति भी दिलाता है. षटतिला व्रत का फल कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और यज्ञों के बराबर माना जाता है। षटतिला व्रत का फल कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और यज्ञों के बराबर माना जाता है।

मां तुलसी का भी विशेष महत्व है

एकादशी के दिन मां तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व है। ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें, फिर तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से अपार यश और धन की प्राप्ति होगी। साथ ही धन में बढ़ोतरी होगी।

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