Sarbananda Sonowal: भारत की पहली एकीकृत कृषि-निर्यात सुविधा जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, मुंबई में स्थापित की जाएगी
Sarbananda Sonowal
- Shri Sarbananda Sonowal ने कृषि-लॉजिस्टिक्स में क्रांतिकारी बदलाव लाने और बर्बादी को कम करने के लिए 284.19 करोड़ रुपये की पीपीपी परियोजना को स्वीकृति दी
- यह सुविधा लॉजिस्टिक्स में अकुशलताओं को दूर करेगी, कई तरह के प्रबंधन में सुधार लाएगी और कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने की अवधि बढ़ाएगी
- यह नई सुविधा किसानों को सशक्त बनाएगी, रोजगार अवसरों का सृजन करेगी और निर्यात क्षमता में वृद्धि करेगी
यह हमारे किसानों को सशक्त बनाने और भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है: श्री सर्बानंद सोनोवाल
Shri Sarbananda Sonowal: भारत की कृषि निर्यात और आयात क्षमताओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (जेएनपीए) के लिए 284.19 करोड़ रुपये की लागत से ‘पीपीपी माध्यम से जेएनपीए में निर्यात-आयात सह घरेलू कृषि वस्तु-आधारित प्रसंस्करण और भंडारण सुविधा के विकास’ से जुड़ी परियोजना को स्वीकृति दे दी है।
जेएनपीए बंदरगाह 67,422 वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक अत्याधुनिक कृषि सुविधा स्थापित करने जा रहा है। यह अग्रणी सुविधा रसद में अक्षमताओं को दूर करेगी, कई प्रबंधन व्यवस्थाओं में सुधार लाएगी और कृषि उत्पादों की सुरक्षा अवधि को बढ़ाएगी। अपेक्षित लाभों में कृषि वस्तुओं के लिए बेहतर मूल्य, रोजगार सृजन और कृषि क्षेत्र में समग्र विकास शामिल हैं। यह किसानों और निर्यातकों को सशक्त बनाएगा, मांग में वृद्धि करते हुए ग्रामीण विकास को बढ़ावा देगा।
केन्द्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री श्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) एक मजबूत बुनियादी संरचना बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, इससे न केवल कृषि निर्यात क्षमताओं को बढ़ाया जाएगा बल्कि किसानों और ग्रामीण समुदायों की भी सहायता की जाएगी। जेएनपीए में इस ऑल-इन-वन कृषि सुविधा के विकास से रसद सुव्यवस्थित होगी, बर्बादी कम होगी और कृषि उत्पादों के बेहतर मूल्य मिलेंगे। यह हमारे किसानों को सशक्त बनाने और भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह सुविधा गैर-बासमती चावल, मक्का, मसाले, प्याज और गेहूं जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यात को पूरा करेगी। जेएनपीए फ्रोजिन मीट उत्पादों और अन्य समुद्री उत्पादों के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार है, इसलिए नई सुविधा मुंबई से दूर के क्षेत्रों से मीट और समुद्री उत्पादों के निर्यातकों को भी सहायता प्रदान करेगी। विशेष रूप से छोटे निर्यातकों को बंदरगाह आधारित सुविधा से लाभ होगा, जिससे रसद, कंटेनर बुकिंग, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स और निर्यात संचालन में उनकी क्षमताओं में सुधार होगा। अनुमानित निर्यात क्षमता वृद्धि में 1800 मीट्रिक टन का फ्रोजन स्टोर, 5800 मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोर और अनाज, अनाज और सूखे माल के लिए 12,000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले सूखे गोदाम शामिल हैं।
यह पहल किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है, तथा भविष्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एक मिसाल कायम करती है जिसका उद्देश्य भारत की कृषि क्षमताओं को समर्थन देते हुए बढ़ावा देना है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में जेएनपीए देश का पहला प्रमुख बंदरगाह है जो 100 प्रतिशत लैंडलॉर्ड बंदरगाह है और सभी इसकी बर्थ पीपीपी आधार पर संचालित की जा रही हैं। जेएनपीए शीर्ष 100 वैश्विक बंदरगाहों (लॉयड्स लिस्ट की टॉप 100 बंदरगाह रिपोर्ट के अनुसार) में अग्रणी कंटेनर बंदरगाहों में से एक है।
बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय महाराष्ट्र में, देश के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक वधावन बंदरगाह का भी विकास कर रहा है, जिसमें कुल लगभग 76,220 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। पालघर जिले में मौजूद वधावन को हर मौसम में कार्य करने योग्य ग्रीनफील्ड डीप ड्राफ्ट प्रमुख बंदरगाह के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में प्रमुक बुनियादी ढांचा, टर्मिनल और अन्य वाणिज्यिक बुनियादी सुविधाओं का विकास शामिल होगा। प्रस्तावित वधावन बंदरगाह सरकार के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाली पहल है और इसे 23 मिलियन टीईयू या 254 मिलियन टन के वार्षिक कार्गो को संभालने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें 20,000 टीईयू तक के बड़े कंटेनर जहाजों को समायोजित करने के लिए 20 मीटर का प्राकृतिक ड्राफ्ट है। कार्य पूर्ण हो जाने के बाद, यह परियोजना विश्व के शीर्ष 10 सबसे बड़े बंदरगाहों में शामिल होगी।
महाराष्ट्र में अब तक सागरमाला से 232 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ 790 करोड़ रुपये की लागत वाली 16 परियोजनाएं पूर्ण की जा चुकी हैं। वर्तमान में, 1,115 करोड़ रुपये की लागत वाली 14 अतिरिक्त परियोजनाएं जारी हैं, जिन्हें इसी योजना से 561 करोड़ रुपये की सहायता मिल रही है।
source: https://pib.gov.in