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Sukhbir Singh Badal: अकाली दल में हिंसा बढ़ी, बागी धड़े का आरोप, सुखबीर ने डेरा मुखी को माफी दिलाई , शिअद ने किया पलटवार

Sukhbir Singh Badal: सिरसा डेरा के मालिक राम रहीम कई बार चर्चा में रहे हैं। 2007 में उनकी एक तस्वीर आई, जिसमें वह दशम गुरु गोबिंद सिंह जी की वेशभूषा में थे। इसके बाद डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों और सिखों में हिंसक संघर्ष हुआ। डेरा मुखी को बाद में माफी दी गई।

Sukhbir Singh Badal: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में चल रही अनिश्चितता अभी भी जारी है। अब पार्टी के बागी धड़े ने आरोप लगाया है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने में शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल और डॉ. दलजीत सिंह चीमा की अहम भूमिका रही है।

बीबी जगीर कौर ने बताया कि बादल ने डेरा प्रमुख को माफी दिलाई है। जस्टिस रणजीत सिंह की किताब में इसका दावा किया गया है। उनका कहना था कि जत्थेदारों को चंडीगढ़ बुलाकर दबाव डाला गया था, जिससे डेरा मुखी को माफी दी गई थी। बकौल बीबी जगीर कौर, इससे शिअद को बहुत नुकसान हुआ है। पार्टी ने जनता का विश्वास खो दिया है, यही कारण है कि वह इसका विरोध कर रही है। उनका कहना था कि पार्टी अध्यक्ष ने सिख परंपराओं का ध्यान नहीं रखा है।

शिअद का जवाब

बागी गुट पर शिरोमणि अकाली दल के मुख्य प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कलेर ने कहा कि बागी नेता बादल पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन डेरा प्रमुख की पैरोल पर नहीं। कई नेता डेरे में भी वोट मांगने गए थे, लेकिन बाद में उन्हें माफी मांगनी पड़ी। उनका दावा था कि जस्टिस रणजीत सिंह की रिपोर्ट आज जारी की गई है। यह दावा कर रहे हैं कि जत्थेदार बादल के घर गए थे। बादल साहिब की कोठी में जत्थेदार साहिब को बुलाने का भी रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है। वहां केंद्रीय एजेंसियों के कर्मचारी भी हैं। हर आने-जाने वाले का रिकार्ड है, इसलिए बागी नेताओं की झूठी बयानबाजी अब सबके सामने आई है। कलेर ने कहा कि अगर बागी गुट वास्तव में पार्टी से नाराज था तो उन्होंने पिछले तीन चुनावों में जीत हासिल की क्यों? आरोप लगाया कि 2017, 2019 और 2022 में बागी गुट के कई नेताओं ने भी चुनाव लड़ा था, लेकिन अब वह पार्टी से नाराज हैं।

केंद्रीय निकायों के साथ मिलकर पार्टी को तोड़ने की कोशिश

उनका कहना था कि बागी नेताओं ने श्री अकाल तख्त जाकर माफी मांगी है, लेकिन अब वह सिर्फ अकाली सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इससे उनका दोहरा चरित्र सामने आया है। भाजपा और सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने पहले पार्टी को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाए हैं।

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