मंदिर की परिक्रमा करते वक्त ध्यान रखें ये बातें 

जब हम सभी मंदिर में जाते हैं और पूजा-पाठ करने के बाद मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा लगाते हैं. सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि अन्य पवित्र स्थानों के चारों तरफ भी परिक्रमा करते हैं 

श्रद्धालु सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि पवित्र पेड़ों के भी चक्कर लगाते हैं 

मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने से लोगों के मन को शांति मिलती है. साथ ही मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करने से लोगों के जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती  है

क्या आपने कभी सोचा है मंदिर की परिक्रमा क्यों की जाती है

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है

जब गणेश और कार्तिक के बीच संसार का चक्कर लगाने का मुकाबला चल रहा था. तब इस मुकाबले में भगवान गणेश ने चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के 3 चक्कर लगाकर परिक्रमा पूरी कर ली थी 

. इसके बाद से मान्यता है कि हमारे इष्ट देव ही हमारा संसार है. इसलिए लोग मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा लगाते हैं 

अगर आप किसी मंदिर की परिक्रमा लगाने जा रहे है तो नंंगे पाव घड़ी की सुई की दिशा में परिक्रमा करना सही माना जाता है 

 कई श्रद्धालु मंदिर में गीले कपड़े पहनकर परिक्रमा करते हैं. ऐसी स्थिति में प्ररिक्रमा करने से पवित्र स्थान की ऊर्जा अच्छी तरह से ग्रहण की जा सकती हैं 

देवी मां के मंदिर की सिर्फ एक परिक्रमा करना सही होता है 

भगवान विष्णु और उनके अवतार की 4 बार परिक्रमा शुभ माना जाता है 

जब भी भक्त गणेश जी के मंदिर की परिक्रमा लगाएं तो 3 चक्कर लगाएं. क्योंकि गणेश जी अपने माता-पिता के 3 चक्कर लगाकर मुकाबला जीता था 

ऐसी मान्यता है कि शिव जी के अभिषेक को लाघंना शुभ नहीं होता है इसलिए भगवान भोलेनाथ की आधी परिक्रमा की जाती है 

आप किसी पवित्र पेड़ की परिक्रमा करने जा रहे हैं तो 11 या 21 बार परिक्रमा करना शुभ माना जाता है 

मंदिर में प्रवेश के समय आपको पहले देवताओं के नाम का जाप करते हुए परिक्रमा शुरू करें. इसके बाद एक परिक्रमा के बाद देवता को प्रणाम करें और उसके बाद ही अगली परिक्रमा शुरू करें