PM Modi जहान-ए-खुसरो कार्यक्रम में शामिल हुए, कहा- खुसरो ने अतीत से जोड़े रखा, गुलामी की लंबी अवधि के बावजूद
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PM Modi ने एक सुंदर नर्सरी में जहान-ए-खुसरो कार्यक्रम में भाग लिया।
रूमी फाउंडेशन ने मुजफ्फर अली और मीरा अली को शुभकामना दी और देशवासियों को रमजान की मुबारकबाद दी। PM Modi ने कहा कि स्वर गीत-संगीत से किसी भी देश की सभ्यता की तहजीब मिलती है। उसकी अभिव्यक्ति कला से होती है। आगे कहा कि भारत में सूफी परंपरा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई।
PM Modi ने कहा कि गुलामी के लंबे काल खंड के बाद भी आज हम अतीत से परिचित हैं, तो इसमें हजरत खुसरो की रचनाओं की बड़ी भूमिका है। इस विरासत को विकसित करते रहना चाहिए। हिंदुस्तान को अमीर खुसरो ने जन्नत से तुलना किया था। हिंदुस्तान एक जन्नत का बगीचा है, जहां हर रंग फला-फूला है। यहां की मिट्टी की विशेषता है। शायद इसलिए जब सूफी परंपरा हिंदुस्तान आई, तो उसे भी लगा जैसे वो अपनी ही जमीन से जुड़ गई हो।
PM Modi ने एक सुंदर नर्सरी में जहान-ए-खुसरो कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने देशवासियों को रमजान की मुबारकबाद दी और रूमी फाउंडेशन, मुजफ्फर अली और मीरा अली को शुभकामना दी।
PM: सूफी परंपरा ने अपनी एक अलग भारत में अलग पहचान बनाई
PM Modi ने कहा कि सूफी संगीत एक साझा विरासत है जो हम सब मिलकर जीते आए हैं। बाबा फरीद की मधुर बातों ने लोगों को खुश कर दिया, हजरत निजामुद्दीन की महफिलों में मोहब्बत के दीये जलाए गए, हजरत अमीर खुसरो की बातों ने नवाचार का बीज बोला, और इसका परिणाम हजरत अमीर खुसरो की इन प्रसिद्ध पंक्तियों में दिखाई देता था—बन के पंछी भए बावरे, ऐसी बीन बजाई सांवरे। तार तार की तान निराली, झूम रही सब बन की डारी।
PM Modi ने आगे कहा कि सूफी परंपरा ने भारत में अपनी अलग पहचान बनाई। सूफी संतों ने महज मस्जिदों या खानकाहों तक अपनी उपस्थिति को सीमित नहीं रखा। वेदों की ध्वनि भी उन्होंने सुनी और पवित्र कुरान का हर्फ पढ़ा। अजान में भक्ति के गीतों की मिठास भी जोड़ी जाती है। मैं खुश हूँ कि आज जहान-ए-खुसरो सूफी परंपरा का आधुनिक नाम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हजरत खुसरो ने कहा कि भारत का संगीत एक सम्मोहन है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वर और संगीत किसी भी देश की सभ्यता और तहजीब को बनाते हैं। कला उसकी अभिव्यक्ति है। हजरत खुसरो ने कहा कि भारत का संगीत एक सम्मोहन है। जब सूफी संगीत और शास्त्रीय संगीत की प्राचीन धाराएं एक-दूसरे से जुड़ीं, हमें भक्ति और प्रेम का नया स्वर सुनने को मिला। हजरत खुसरो की कव्वाली और बाबा फरीद के दोहे हमें यही दिखाते हैं। बुल्ले शाह के स्वर मिले, यहां हमे कबीर भी मिले, रहीम भी मिले और रसखान भी मिले।
सूफी परंपरा ने ना केवल इंसान की रुहानी दूरियों को खत्म किया- पीएम
आगे कहा कि औलियो और इन संतों ने भक्ति को एक नया रूप दिया। आप चाहें सूरदास, रसखान या रहीम को पढ़ें, या आंख बंद करके हजरत खुसरो को सुनें। जब आप गहराई में जाते हैं, आप आध्यात्मिक प्रेम की उस ऊंचाई पर पहुंचते हैं जहां इंसानी बंधन टूट जाते हैं। इंसानों और ईश्वर के बीच एक मिलन का अनुभव होता है।
सूफी परंपरा ने न सिर्फ रूहानी अंतरों को दूर किया है, बल्कि दुनिया भर में भी अंतरों को कम किया है। मुझे संतोष है कि जहां-ए-खुसरो जैसे प्रयास इस दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं।
Speaking at the Jahan-e-Khusrau programme in Delhi. It is a wonderful effort to popularise Sufi music and traditions. https://t.co/wjwSOcba3m
— Narendra Modi (@narendramodi) February 28, 2025