लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विकसित भारत 2027 के रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की, विकास के टिकाऊ और समावेशी मॉडल का आह्वान किया

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला: भारत का वर्तमान युग आर्थिक सशक्तिकरण और नवाचार का युग है
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि उद्योग और वाणिज्य के स्तंभ वर्ष 2047 तक भारत को पूरी तरह विकसित राष्ट्र में बदलने से जुड़ी भारतीय नेतृत्व की दृढ़ प्रतिबद्धता में अहम स्थान रखते हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस राष्ट्रीय आकांक्षा को साकार करने के लिए सभी हितधारकों से विकास के एक ऐसे मॉडल को अपनाने का आह्वान किया जो न केवल टिकाऊ और स्थायी हो, बल्कि समावेशी भी हो और अनुसंधान, नवाचार और दूरदर्शी उद्यम की भावना पर मजबूती के साथ आधारित हो। आज नई दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 120वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत के वर्तमान युग आर्थिक सशक्तिकरण और नवाचार का युग बताते हुए कहा कि भारत सरकार की ‘विकासोन्मुखी नीतियां’ आज हमारे उद्योगों को नई ऊर्जा प्रदान कर रही हैं।
‘विकसित भारत 2047’ के रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आज देश की व्यापार नीति आत्मनिर्भर भारत के बड़े दृष्टिकोण में गहराई से निहित है और वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद को दर्शाती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि समकालीन भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में उभरा है, जो एक ऐसा देश है जहां कारोबारी सुगमता केवल एक आकांक्षा नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि वैश्विक महामारी के बाद भारत का उल्लेखनीय आर्थिक पुनरुत्थान विकासशील दुनिया के लिए आशा और प्रेरणा का स्रोत है, जो देश के लचीलेपन और समावेशी विकास एवं समृद्धि की दिशा में इसके लगातार आगे बढ़ने को प्रदर्शित करता है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, गति शक्ति, भारतमाला परियोजना, उड़ान योजना और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टरों के विकास जैसे प्रमुख कार्यक्रम पूरे देश में औद्योगिक और वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे का एक मजबूत ताना-बाना बुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक नीतियों का सरलीकरण, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल कर व्यवस्था की स्थापना और एकल-खिड़की निकासी प्रणाली को अपनाने से देश में उद्यमशीलता की भावना को काफी बढ़ावा मिला है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि देश उपभोक्ता-संचालित अर्थव्यवस्था की अपनी पारंपरिक भूमिका से तेजी से आगे बढ़कर नवाचार और सरलता का जीवंत केंद्र बन रहा है। उन्होंने भारतीय उद्यमों के विशेष रूप से स्टार्ट-अप के गतिशील इकोसिस्टम में परिवर्तनकारी योगदान की सराहना की, जो अपने नए दृष्टिकोण और अभूतपूर्व विचारों के साथ सतत विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं और भारत को वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत में एक नए आर्थिक युग की शुरुआत पर भी प्रकाश डाला। यह एक ऐसा युग है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के संगम और नवाचार-आधारित उत्पादकता में उछाल द्वारा परिभाषित है। उन्होंने कहा कि इस तालमेल से न केवल मजबूत आर्थिक विकास को, बल्कि पारदर्शिता और दक्षता की संस्कृति को भी बढ़ावा मिल रहा है। देश भर में फैल रही डिजिटल क्रांति का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने वाणिज्यिक परिदृश्य में डिजिटल लेन-देन में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह डिजिटल गति आर्थिक समावेशन के एक अभूतपूर्व युग की शुरुआत कर रही है। यह एक ऐसा युग है जो दूरदराज के क्षेत्रों और भारत की मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था के बीच की खाई को पाट रहा है, जिससे देश के सबसे दूरदराज के कोनों में भी प्रगति और समृद्धि का भरोसा बढ़ रहा है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उद्योगों और नीति निर्माताओं के बीच एक मजबूत सेतु के रूप में कार्य करने, गहरी जानकारियों और विचारशील सिफारिशें लाने के लिए पीएचडीसीसीआई की सराहना की, जिनसे सरकार को दूरदर्शी, उत्तरदायी नीतियों को तैयार करने में मार्गदर्शन मिल सकता है। श्री बिरला ने महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम और नेटवर्किंग एवं मेंटरिंग प्लेटफॉर्म जैसी दूरदर्शी पहलों के माध्यम से भारतीय महिलाओं की गतिशील भावना को पोषित करने और सशक्त बनाने में पीएचडीसीसीआई के प्रमुख प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन पहलों ने नारी शक्ति की विशाल क्षमता को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे महिलाएं वाणिज्य एवं उद्योग के क्षेत्र में शक्तिशाली और प्रभावशाली प्रतिभागियों के रूप में उभरने में सक्षम हुई हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज आर्थिक परिदृश्य में महिलाओं की उपस्थिति और नेतृत्व अपवाद नहीं बल्कि एक बढ़ती हुई ताकत है जो भारतीय उद्यम के भविष्य को आकार दे रही है। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि पीएचडीसीसीआई जैसी संस्थाओं में औद्योगिक इकोसिस्टम की आकांक्षाओं, शक्तियों और चुनौतियों के बारे में आंतरिक समझ होती है।