
2024 में कृषक विरोध प्रदर्शन: चंडीगढ़ से दिल्ली के बीच हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की अधिकांश बसें बंद हो गई हैं।हरियाणा रोडवेज की बसें इस मार्ग पर सबसे अधिक चलती हैं। इनकी चाल थम गई।
2024 में कृषक प्रदर्शन: पंजाब, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए पुलिस द्वारा की गई बैरिकेडिंग के चलते लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली से चंडीगढ़ की यात्रा बहुत मुश्किल है। साथ ही, मोहाली से चंडीगढ़-दिल्ली तक जाने वाले यात्रियों को शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई किराया महंगा हो रहा है।
सड़क मार्ग बाधित होने से ट्रेनों के लिए जगह नहीं है, इसलिए हवाई किराया बहुत अधिक है। चंडीगढ़ से दिल्ली की फ्लाइट का किराया दस गुना बढ़कर 30 हजार रुपये हो गया है। यह आम तौर पर लगभग तीन हजार रुपये है। 16 हजार रुपये मंगलवार दोपहर बाद की फ्लाइट का किराया है।
अमृतसर-दिल्ली की टिकट 19 हजार रुपये में
अमृतसर-दिल्ली मार्ग भी इसी तरह है। पहले अमृतसर से दिल्ली की हवाई टिकट 3000 से 3500 रुपये में मिलती थी। 15 से 19 हजार तक पहुंच गया है। दिल्ली एयरपोर्ट हर दिन सैकड़ों एनआरआई का स्वागत करता है। सड़क मार्ग बंद होने के कारण अब लोग अमृतसर एयरपोर्ट से सीधे दिल्ली जा रहे हैं और दिल्ली से अमृतसर फ्लाइट जा रहे हैं। साथ ही, एयरलाइन कंपनियों ने टिकटों की कीमतों को कई गुना बढ़ा दिया है।
चंडीगढ़ से दिल्ली के बीच चलने वाली अधिकतर बसें बंद
चंडीगढ़ से दिल्ली के बीच हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की अधिकांश बसें बंद हो गई हैं। हरियाणा रोडवेज की बसें इस मार्ग पर सबसे अधिक चलती हैं। इनके पहिये थमने से समस्या बढ़ गई है। टैक्सी कंपनियां भी सेवा नहीं दे रही हैं। अब वह बुकिंग नहीं कर रहे हैं। किराया बढ़ाने पर भी चलने को तैयार नहीं हैं। लालडू के पास जीरकपुर डेराबस्सी रोड बंद है। मार्ग बंद होने से कार चलाने वाले भी परेशान हो रहे हैं। अंबाला से चंडीगढ़ आने में एक घंटे का समय लगता है। लेकिन वर्तमान में चार से पांच घंटे की लागत से मिलती है।
दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेनें फुल
सड़क से अधिक विकल्प फ्लाइट है। रेलवे पहले से ही भरे हुए हैं। इनमें स्थान नहीं है। वंदे भारत, शताब्दी और दिल्ली जाने वाली सभी ट्रेनें भरी हुई हैं। लंबे समय तक वेटिंग है। अब लगभग सभी को प्रकाश में जाना पसंद नहीं है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि अब सिर्फ ट्रेन और हवाई अड्डा ही विकल्प बचे हैं।