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Nirjala Ekadashi: निर्जला एकादशी पर इस नियम से जल पीने से आपका व्रत खंडित नहीं होगा; क्या आप जानते हैं?

Nirjala Ekadashi: साल में 24 एकादशी आती हैं, लेकिन ज्येष्ठ माह में आने वाली एकादशी व्रत को सभी एकादशी में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।निर्जला एकादशी इसका नाम है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, इसमें न तो भोजन किया जाता है और न ही जल पीया जाता है। जानिए क्या है वो नियम

Nirjala Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। साल में चौबीस एकादशियां आती हैं, लेकिन अधिकमास या मलमास में 26 एकादशी लगती हैं। निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी है। शेष एकादशी इससे अधिक महत्वपूर्ण है।माना जाता है कि इसकी एकादशी सभी एकादशी के व्रत करने के बराबर होती है, यानी एक एकादशी के व्रत रखने से 24 एकादशी का फल मिलता है।

नाम से ही पता चलता है कि निर्जला एकादशी व्रत जल के बिना किया जाता है। इस व्रत में भोजन और जल दोनों नहीं खाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में पानी पीना वर्जित है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. हालांकि, शास्त्रों में एक निश्चित नियम और निश्चित समय है जब आप पानी पी सकते हैं। चलिए वह नियम आपको बताते हैं।

इस नियम से पानी पीने से नहीं टूटता व्रत

मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत का पूरा फल तभी मिलता है जब अगले दिन व्रत का पारण करके जल को ग्रहण किया जाता है. लेकिन अगर आप स्नान या आचमन करते समय पानी पीते हैं, तो व्रत भंग नहीं होता है और आपको अन्य तेईस एकादशियों का पुण्य भी मिलता है। यानि जब आप नहाने जायें तो पहले जल का आचमन करके उसी समय पानी पी लें।

पौराणिक कहानियाँ भी लोकप्रिय हैं

इस नियम के पीछे एक कहानी भी है। एक बार भीम ने महर्षि व्यास पांडवो से पूछा कि क्या कोई व्रत है जो चौबीस एकादशी का फल एक साथ दे सके? उन्होंने कहा कि युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुन्ती और द्रौपदी सभी एकादशी का व्रत करते हैं लेकिन अपनी उदर अग्नि के चलते नहीं कर पाते। महर्षि व्यास जानते थे कि भीम के भोजन के बिना नहीं रह सकते, तब व्यास जी ने भीम से कहा कि तुम तुम ज्येष्ठ शुक्ल निर्जला एकादशी का व्रत रखो क्योंकि इस व्रत में स्नान आचमन के समय जल ग्रहण से दोष नहीं लगता और सभी 24 एकादशियों का फल व्रत करने वाले को मिल जाता है

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