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हरियाणा लोकसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा की जाएगी और एक “रिपोर्ट कार्ड” तैयार किया जाएगा।

हरियाणा लोकसभा चुनाव: नतीजे आने से पहले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच अंदरूनी कलह की शिकायतें आ रही थीं

हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटों पर मतदान के बाद अब भितरघात की शिकायतें आने लगी हैं और सिर्फ पार्टी के नेताओं द्वारा अंदरखाने मुखालफत की शिकायतें आने लगी हैं। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने इस तरह की शिकायतें की हैं, जो महत्वपूर्ण है। कुछ नेता मुखर होकर बोल रहे हैं, जबकि दूसरे ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इसकी शिकायत की है। माना जा रहा है कि 4 जून को होने वाली मतगणना और चुनावी नतीजों के बाद यह मामला और भी सुर्खियों में आएगा।

सत्तारूढ़ भाजपा ने नतीजों से पहले पंचकूला में एक बैठक करके सभी 10 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान की समीक्षा की है। भाजपा की मंथन बैठक नतीजों के बाद भी होगी, जिसमें विस्तार से चर्चा होगी। कांग्रेस भी नतीजों के बाद बैठक करेगी। ये बैठकें भी होनी तय हैं क्योंकि हरियाणा में लगभग चार महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। नतीजों के बाद होने वाली समीक्षा बैठक में सभी नेताओं की उपस्थिति भी देखी जाएगी, जिससे “रिपोर्ट कार्ड” बनाया जाएगा।

विधानसभा चुनावों में दोनों ही पार्टियों के विधायकों के अलावा कई अन्य नेताओं ने टिकटों की मांग की है। भाजपा और कांग्रेस हलकावार पार्टी उम्मीदवारों को टिकट देंगे। कांग्रेस के हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सभी नेताओं और कर्मचारियों को पत्र लिखकर कहा कि अगर नेताओं के हलकों में पार्टी की परफोरमेंस कम होगी या भितरघात की शिकायतें होंगी तो उनका दावा विधानसभा की टिकट पर मजबूत नहीं होगा।

भाजपा ने पहले ही कहा है कि 2024 के विधानसभा चुनावों में वर्तमान विधायकों की टिकट कट सकती है। भाजपा के फिलहाल 40 विधायक हैं। भाजपा उम्मीदवारों को इन सभी हलकों में मिले वोट प्रतिशत भी रिपोर्ट करेगा। भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 6 सीटों पर नए चेहरों को उतारा था। विधानसभा चुनावों में भी सिटिंग गैटिंग का सिद्धांत काम नहीं करेगा।

कुल मिलाकर, हर कोई लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहा है। पंचकूला में हुई भाजपा की बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि कई स्थानों पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने नियमों के खिलाफ काम किया है। कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों पर विपक्ष की मदद करने के आरोप लगे हैं। सीएम नायब सिंह सैनी व पूर्व सीएम मनोहर लाल भी नतीजों के बाद ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने के संकेत दे चुके हैं।

हाल ही में सोनीपत के भाजपा उम्मीदवार और राई विधायक मोहनलाल बड़ौली ने कांग्रेस उम्मीदवार की मदद करने के आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस के करनाल के उम्मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा भी स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ पूरी तरह से नहीं मिल रहे हैं। कांग्रेस के तरलोचन सिंह, जो करनाल विधानसभा के उपचुनाव में सीएम नायब सिंह सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उनकी पीठ में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने छुरा घोंपा है। उनका दावा है कि कांग्रेस ने उनका विरोध किया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि तरलोचन सिंह खुद चुनाव प्रचार में उतने सक्रिय नहीं रहे, जितना एक प्रत्याशी को होना चाहिए।

हिसार में दोनों ओर से ‘खेल’

भाजपा और कांग्रेस को हिसार संसदीय सीट पर संघर्ष की आशंका है। राज्य के बिजली व जेल मंत्री चौ रणजीत सिंह भाजपा के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने भी पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ को चुनाव जीता था। जेपी ने यहां के सिटिंग सांसद बृजेंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौबीरेंद्र सिंह का टिकट काट लिया। जेपी ने भी भितरघात होने का संकेत दिया है। लेकिन अभी तक उन्होंने किसी नेता का नाम नहीं लिया है। भाजपा के रणजीत सिंह ने भी इस पार्लियामेंट में कुछ नेताओं द्वारा अंदरखाने की गई मुखालफत को लेकर शिकायत दी है।

सिरसा में भी बड़ा खेल हुआ

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सिरसा संसदीय क्षेत्र में भी पार्टी प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर के साथ अंदरखाने धोखाधड़ी की गई है। बताते हैं कि पार्टी की अंदरूनी रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है। अशोक तंवर को टिकट दिए जाने के बाद पार्टी कैडर ही सक्रिय नहीं था। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बाद में सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल के दौरों और बैठकों के बाद काम शुरू किया था। कप्तान मीनू बैनीवाल इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा की उम्मीद से अधिक काम किया है।

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