पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को ने मालवा नहर के काम का लिया जायजा; आज़ादी के बाद पंजाब में बनेगी पहली नहर

2300 करोड़ रुपए की लागत से ‘मालवा नहर’ बनाने का पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का दूरदर्शी फैसला राज्य की तरक्की और खुशहाली को बढ़ावा देगा
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को कहा कि प्रदेश एक नए इतिहास की कगार पर है क्योंकि प्रदेश के इतिहास में पहली बार दक्षिणी पंजाब की सिंचाई जरूरतों की पूर्ति के लिए नई नहर ‘मालवा कैनाल’ खोदी जा रही है।
मालवा नहर के चल रहे काम का मुआयना करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह रिकॉर्ड है कि पिछली किसी भी सरकार ने प्रदेश की इस जरूरत की ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की इस घोर अनदेखी के कारण धरती के नीचे पानी की अधिक उपयोगिता हुई है, जिसके कारण ज्यादातर ब्लॉक डार्क ज़ोन में बदल गए हैं। भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि लगभग 150 किलोमीटर लंबी यह नई नहर प्रदेश, खासकर मालवा क्षेत्र में बेमिसाल तरक्की और खुशहाली के नए युग की शुरुआत करेगी।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर लगभग 2300 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जो प्रदेश की लगभग दो लाख एकड़ उपजाऊ ज़मीन की सिंचाई जरूरतों की पूर्ति करेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने से काफी पहले इस प्रोजेक्ट का विचार बनाया था। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के समुचित विकास और विशेषकर मालवा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना है।
पिछले शासकों पर व्यंग्य करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंथ के नाम पर वोट मांगने वालों ने कभी भी ऐसा कदम उठाने का प्रयास नहीं की। उन्होंने कहा कि अकाली नेताओं ने ऐसे प्रोजेक्टों , जो आम आदमी की किस्मत बदल सकते थे, को चलाने की बजाए अपने खेतों तक पानी पहुंचाने में ज्यादा रुचि दिखाई। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ऐसे जन विरोधी पैंतरे के कारण इन नेताओं को मतदाताओं ने सिरे से खारिज कर दिया और मौजूदा सरकार को बड़ी जीत दी।
मुख्यमंत्री ने व्यंग्य किया कि लोकसभा सदस्य हरसिमरत कौर बादल प्रदेश के पानी की रॉयल्टी मांगने के मुद्दे पर मगरमच्छ के आंसू बहा रही हैं। उन्होंने लोकसभा सदस्य को याद दिलाया कि 1970 के दशक के बाद लंबे समय तक उनका परिवार पंजाब में सत्ता पर काबिज रहा है लेकिन उन्होंने कभी भी इस मुद्दे को कहीं भी नहीं उठाया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब जब प्रदेश की जनता ने उन्हें राजनीतिक गुमनामी में धकेल दिया है, तब बादल परिवार इस मुद्दे को उठा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समझदार लोग इस परिवार का असली चेहरा जानते हैं और वे उनके अपराधों को कभी भी माफ नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री द्वारा आज जिले में अपने दौरे के दौरान मालवा नहर के चल रहे काम का निरीक्षण किया गया। यह नहर हरिके हेडवर्क्स से लेकर राजस्थान फीडर नहर के बाईं ओर साथ-साथ इसके हेडवर्क से गांव वड़िंग खेड़ा तक बनाई जाएगी और नहर का कुछ हिस्सा राजस्थान सरकार की राज्य में स्थित जमीन में भी बनेगा जो राजस्थान फीडर के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी। यह नहर राजस्थान फीडर नहर के बाईं ओर अतिरिक्त पानी का स्रोत प्रदान करेगी, जिसे सरहिंद फीडर नहर द्वारा पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं किया जा सकता है। 149.53 किलोमीटर लंबी इस नहर की प्रस्तावित क्षमता 2000 क्यूसेक है और इसे 2300 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा।
मालवा नहर का निर्माण राज्य के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि खरीफ के मौसम के दौरान फिरोजपुर फीडर की मांग अधिक होने के कारण पंजाब की समूची मांग को पूरा नहीं किया जा सकता और परिणामस्वरूप सरहिंद फीडर की आपूर्ति भी प्रभावित होती है। हालात इतने गंभीर हो जाते हैं कि पंजाब को अपनी नहरों को रोटेशन पर चलाना पड़ता है। सरहिंद फीडर की आर.डी. 7100 से 430080 के बीच 302 लिफ्ट पंप चल रहे हैं, जो राजस्थान फीडर के बाईं ओर के क्षेत्र को सिंचाई करते हैं जबकि शुरुआत में रोपड़ हेडवर्क्स से सरहिंद नहर प्रणाली (अबोहर ब्रांच अपर और बठिंडा ब्रांच) द्वारा सिंचाई की जाती थी।
हालांकि, सरहिंद नहर प्रणाली के टेल वाले हिस्से में पानी की आपूर्ति में सुधार करने के बजाय, उस समय की सरकार ने इस क्षेत्र को सरहिंद फीडर से लिफ्ट पंपों द्वारा पानी आपूर्ति करने का फैसला लिया। इसी कारण अबोहर और फाजिल्का की नहरी आपूर्ति के लिए पानी की कमी होती है। क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए दीर्घकालिक समाधान हेतु मौजूदा सरकार ने जोड़ी नहरों राजस्थान फीडर और सरहिंद फीडर के बराबर एक और नहर ‘मालवा नहर’ बनाने का फैसला लिया है। इससे सरहिंद फीडर से अबोहर क्षेत्र के लिए अधिक पानी मुहैया होगा। इस नहर के बनने से मुक्तसर, गिद्दड़बाहा, बठिंडा, जीरा के क्षेत्रों के साथ-साथ अबोहर, फिरोजपुर और फाजिल्का के क्षेत्रों को उनके हिस्से का पानी मिलेगा।