Union Minister Dr Jitendra Singh: मोदी 3.0 का ‘‘विज्ञान पर ज़ोर’’का लक्ष्य‘‘विकसित भारत’’ को साकार करना है
- अंतरिक्ष स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए 1,000 करोड़रुपये केवेंचरकैपिटलफंडको शुरू करने से लेकरजैव-अर्थव्यवस्थाबनानेकेउद्देश्यसेबायोई3 नीतिकीशुरुआततक, मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में जिन प्रमुख पहलों की शुरुआत की है, वे वैश्विक नवाचार मंच पर भारत की भूमिका को आगे बढ़ाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं
- चंद्रयान-3 मिशन जैसी उपलब्धियों से वैश्विक मान्यता मिली;
- भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी महत्वाकांक्षाएं नई ऊंचाइयों पर पहुंचीं: डॉ. जितेंद्र सिंह ने परिवर्तनकारी पहलों का विवरण दिया
मीडिया के साथ एक दूरदर्शी विचार-विमर्श में, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए सरकार के साहसिक और रणनीतिक विजन को सामने रखा और कहा कि मोदी 3.0 के‘‘विज्ञान को बढ़ावा’’ देने का लक्ष्य‘‘विकसित भारत’’ को साकार करना है।
मंत्री महोदय ने कहा कि अंतरिक्ष स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए 1,000 करोड़ रुपयेकेवेंचरकैपिटलफंडकोशुरू करनेसेलेकरजैव-अर्थव्यवस्था बनानेकेउद्देश्यसेबायोई3 नीतिशुरूकरनेतक, मोदी सरकार की अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में की गई प्रमुख पहलें, वैश्विक नवाचार मंच पर भारत की भूमिका को आगे बढ़ाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये पहलें न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को बढ़ाती हैं, बल्कि ये एक स्थायी, आत्म-निर्भर अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती हैं, जो उद्योग और संसाधनों में वैश्विक बदलावों का सामना कर सकती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुरुआत करते हुए इस बात पर बलदिया कि भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रमुख सुधारों को किस गति से अपनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में हमने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में परिवर्तनकारी बदलावों के लिए आधार तैयार किया है।’’ उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का विजन अंतरिक्ष अन्वेषण, जैव प्रौद्योगिकी और मौसम विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक, अनूठी पहलों को प्राथमिकता देता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह की बातचीत का एक मुख्य आकर्षण अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए विशेष रूप से 1,000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड की घोषणा थी। कैबिनेट द्वारा स्वीकृत यह कोष भारत के लगभग 300 अंतरिक्ष स्टार्टअप के बढ़ते आधार का लाभ उठाने की व्यापक योजना का एक हिस्सा है। निजी खिलाड़ियों के लिए इस क्षेत्र को खोलने के सरकार के निर्णय के बाद,कुछ ही वर्षों में भारत ने अपने अंतरिक्ष इकोसिस्टम में उल्लेखनीय बदलाव देखा है।
डॉ. सिंह के अनुसार, इस निर्णय ने भारत की क्षमता को सामने लाने में मदद की है, जिसनेइसे एकल-अंकीय स्टार्टअप उपस्थिति से वर्तमान में सैकड़ों अंतरिक्ष प्रौद्योगिकीकंपनियों वाले इकोसिस्टम में तब्दील कर दिया है।
डॉ. सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन जैसी उपलब्धियों से भारत को मिली वैश्विक मान्यता का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’’ उन्होंने गगनयान मिशन पर भी प्रकाशडाला, भारत केइस पहले मानव चालक दल वाले अंतरिक्ष मिशन को निर्धारित कर लिया गया है, जिसमें मानव एस्ट्रोनॉटको अंतरिक्ष में भेजने से पहले अंतिम ड्रेस रिहर्सल के रूप में एक महिला रोबोट परीक्षण उड़ान शामिल होगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्रगति केवल अन्य अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो जाना भर नहीं है, बल्कि इसमेंनवाचार, सटीकता और विश्वसनीयता के साथअग्रणी बनने का है।’’
बायो ई3 नीति के साथ, डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘‘जैव-संचालित’’ भविष्य के लिए एक विजन को रेखांकित किया, जिसमें जोर दिया गया कि अगली औद्योगिक क्रांति पारंपरिक विनिर्माण के बजाय जैव-अर्थव्यवस्था पहलों से उत्पन्न होगी। ये नीति, जो पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए जैव-प्रौद्योगिकी को कवर करती है, आयात पर निर्भरता को कम करते हुए संसाधनों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए डिज़ाइन की गई है। उन्होंने बताया कि एक प्रमुख उद्देश्य पेट्रोलियम-आधारित संसाधनों से जैव-ईंधन विकल्पों की ओर बदलाव करना है, जिससे अपशिष्ट से ईंधन बनाना और अन्य संधारणीय प्रथाओं को सक्षम बनाया जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘हिमालय में समृद्ध जैव संसाधन और 7,500 किलोमीटर की तटरेखा सहित हमारे प्राकृतिक संसाधन हमें इस क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए एक अनूठी स्थिति में रखते हैं। हम इन क्षेत्रों की जैव प्रौद्योगिकी क्षमता का दोहन कर रहे हैं, जिससे आर्थिक विकास सुनिश्चित हो रहा है और जो दोनों समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय है।’’
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मिशन मौसम पर महत्वपूर्ण और नवीनतम जानकारी भी दी, जो श्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के भीतर शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य मौसम संबंधी पूर्वानुमानों की सटीकता को बेहतर बनाना है। यह मिशन, जो अंतरिक्ष और आईटी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करता है, भारत को स्वयं के लिए ही नहीं,बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों को भी वास्तविक समय पर कार्रवाई योग्य मौसम पूर्वानुमान प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
मौसम विज्ञान में भारत की विरासत पर विचार करते हुए, उन्होंने स्वीकार किया कि इस क्षेत्र को अभी हाल तक पर्याप्त निवेश प्राप्त करने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘अब, हम केवल मौसम का पूर्वानुमान नहीं लगा रहे हैं। हम नागरिकों को मौसम की घटनाओं के निहितार्थों को समझने और उसके अनुसार तैयारी करने में मदद कर रहे हैं।’’ नए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-संचालित अनुप्रयोग किसानों और अन्य हितधारकों को हाइपर-लोकल, घंटे-दर-घंटे पूर्वानुमान में सक्षम बनाएंगे, जो विश्वसनीय पूर्वानुमानों पर निर्भर हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बल देकर कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य वैश्विक-मानक पूर्वानुमान प्रदान करना और हमारे कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने वाले पूर्वानुमान मॉडल की ओर बढ़ना है।’’
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत के दृष्टिकोण का आधारएक सर्वव्यापी रणनीति है, जिसमें वैज्ञानिक विषय अधिक प्रभावशाली परिणाम देने के लिए एक जगह मिलते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के व्यापक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस तरह का सहयोग आवश्यक है, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र परिवर्तनकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए एक साथ जुड़कर काम कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस संपूर्ण विज्ञान विजन के उदाहरण के रूप में भारत-जर्मनी विज्ञान भागीदारी की ओर इशारा किया। 50,000 से अधिक भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं की मेजबानी करने वाला जर्मनी, अभिनव परियोजनाओं को आगे बढ़ाने वाले भारतीय विद्वानों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जर्मनी और भारत का सहयोग, विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में, हमारी वैज्ञानिक महत्वाकांक्षाओं को मूर्त रूप देने में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है।’’
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर देते हुए अपने संबोधन को समाप्त किया कि सरकार की विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहलें आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता में निहित हैं। अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी में रणनीतिक निवेश करके, भारत न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि वो भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक स्थायी लक्ष्यों के साथ भी जुड़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये नीतियां आर्थिक लचीलेपन और जनता की भलाई दोनों को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों में अग्रणी बनने की देश की महत्वाकांक्षा को दर्शाती हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुष्टि की कि आत्मनिर्भर, वैज्ञानिक रूप से उन्नत भविष्य की ओर भारत की यात्रा प्रत्येक नई नीति, फंड और भागीदारी के साथ तय की जा रही है। ‘‘हमारा लक्ष्य भारत के लिए विज्ञान को उपयोगी बनाना है – हमारी चुनौतियों का समाधान करना, हमारी अर्थव्यवस्था को गति देनातथा यह सुनिश्चित करना है कि हमारे नागरिक हमारे द्वारा किए गए प्रत्येक नवाचार और सफलता से सीधे लाभान्वित हों।’’
source: https://pib.gov.in