Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी के दिन इस खास विधि से भगवान कार्तिकेय की पूजा करें, शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा!

Skanda Sashti 2025: हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित किया गया है। इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत और पूजन होता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। जीवन में खुशी आती है।

Skanda Sashti 2025: हिन्दू धर्म में स्कंद षष्ठी एक बहुत विशिष्ट घटना है। सप्ताह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी कहा जाता है। यह स्कंद षष्ठी का दिन है, जो भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन भगवान कार्तिकेय को पूजा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से लाभ मिलता है।

हिंदू सिद्धांतों के अनुसार..।

हिंदू धर्म में, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन करना धन लाता है। जीवन से सभी अवरोध दूर हो जाते हैं। दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। काम में सफलता मिलती है। इस दिन भगवान कार्यतिकेय का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय और छुटकारा मिलता है।

कब स्कंद षष्ठी का व्रत है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की षष्ठी तिथि 4 मार्च 2025 को दोपहर 3 बजे 16 मिनट पर शुरू होगी। साथ ही, तिथि 5 मार्च बुधवार को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए 4 मार्च को फाल्गुन की षष्ठी तिथि का व्रत रखा जाएगा।

पूजा प्रक्रिया

स्कंद षष्ठी के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए। इसके बाद पूजास्थल साफ होना चाहिए। अब भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए। भगवान कार्तिकेय को पूजा के दौरान गंगाजल से स्नान कराएं। भगवान कार्तिकेय को चंदन, रोली, सिंदूर और अन्य धातुओं से सजाना चाहिए। भगवान कार्तिकेय को फूलों की माला पहनाने की सलाह दी जाती है। भगवान कार्तिकेय के सामने धूप और घी का दीपक जलाना चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान कार्तिकेय को अर्घ्य देना चाहिए। भगवान कार्तिकेय को फल, मिठाई, दूध आदि का भोग लगाना चाहिए. ॐ कार्तिकेय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. स्कंद षष्टि व्रत की कथा पढ़नी चाहिए. अंत में आरती कर पूजा का समापन करना करना चाहिए.।

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्यतिकेय की पूजा के साथ व्रत भी किया जाता है। धर्मशास्त्रों में कार्तिकेय युद्ध का देवता भगवान है। उनकी पूजा करने से शत्रुओं को हराया जा सकता है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। पूजा करते समय मन को एकाग्र रखना चाहिए. नकारात्मक भावना मन में नहीं लानी चाहिए।

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