ममता ने राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया और लोकसभा का दांव चला।

रविवार को, ममता बनर्जी ने चार राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। ममता बनर्जी ने इन नामों के जरिए भी लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया है।

रविवार को ममता बनर्जी ने राज्यसभा की चार सीटों के चुनाव में अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। ममता बनर्जी ने पत्रकार सागरिका घोष को प्रोफेशनल कोटे से चुना है, अभिषेक मनु सिंघवी को पीछे छोड़कर। कांग्रेस इससे बहुत प्रभावित होगी। वास्तव में, इससे पहले ममता बनर्जी ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा भेजा था, जो कांग्रेस के कम विधायकों के बावजूद उनके विधायकों से समर्थन प्राप्त कर लिया था। Indi गठबंधन में विवाद की खबरों के बीच यह कांग्रेस को एक और बड़ा झटका है। साथ ही, ममता बनर्जी ने चार उम्मीदवारों के माध्यम से लोकसभा चुनाव को एकजुट करने की कोशिश की है।

ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पत्रकार सागरिका घोष, राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव, मतुआ समुदाय से आने वाली ममता बाला ठाकुर और पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद नदीमुल हक को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है। 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव होने हैं। ममता बनर्जी ने चार में से तीन महिलाओं को टिकट दिया है, जो महिला वोटर्स को आकर्षित करती है। वहीं, मतुआओं और अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए दो नामों का ऐलान किया गया है।

सुष्मिता देव ने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद देती हूं। मुझे फिर से राज्यसभा का अवसर मिला है। मैं उनके प्रति आभारी हूँ।

ममता बनर्जी ने ममता बाला ठाकुर को टिकट देकर 2024 चुनाव में बड़ा दांव खेला है। हाल ही में अमित शाह ने घोषणा की कि सीएए को लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा, इसलिए मतुआ नेता ममता ठाकुर का नाम अहम है। ऐसे में, ममता बनर्जी मतुआ समुदाय को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं। ममता ठाकुर को पिछले लोकसभा चुनाव में शांतनु ठाकुर के खिलाफ टिकट दिया गया था। भाजपा के शांतनु ने उन्हें पराजित कर दिया।

ममता बनर्जी ने इस बार टीएमसी की सदस्य नहीं होने वाले पत्रकार सागरिका घोष को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को समर्थन देने की बजाय। कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर समझौता नहीं कर पाने की वजह से उन्होंने सिंघवी को छोड़ दिया, ऐसा बताया जाता है। कांग्रेस के पास सिर्फ दस सीटें दिखती हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी में भी सभी को एकजुट करना मुश्किल हो रहा है। यही नहीं, इस बार सोनिया गांधी भी राज्यसभा जा सकती हैं।

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