राज्यदिल्ली

Delhi High Court: दिल्ली सीएम केजरीवाल को जमानत देने के लिए निचली अदालत जाना चाहिए

Delhi High Court:

Arvind Kejriwal को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बावजूद, आबकारी घोटाले से जुड़े ED के मनी लांड्रिंग केस में जेल से बाहर आने की संभावना कम है। सोमवार को सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। जमानत के लिए निचली अदालत जाने की बात कही।

आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि केजरीवाल को निचली अदालत में जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि जिस समय केजरीवाल ने इस अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, तब मामले में निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया था। हालांकि, सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष अपना आरोप पत्र दायर कर दिया है। ऐसे में केजरीवाल के लिए जमानत के लिए निचली अदालत जाना फायदेमंद होगा।

ट्रायल कोर्ट  के पास रिकॉर्ड हैं

जमानत के मामले में हाई कोर्ट और जिला अदालतों दोनों को समवर्ती अधिकार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि पक्षकार को पहले प्रथम न्यायालय जाना होगा।

अदालत ने कहा कि अन्य सह-अभियुक्तों से संबंधित भारी रिकॉर्ड हैं और इसे हाई कोर्ट में पहली बार पूरी स्थिति को बताना संभव नहीं हो सकता। ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया और विशेष न्यायाधीश से संपर्क करने की अनुमति दी।

26 जून को केजरीवाल को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया गया था।

29 जुलाई को सीबीआई ने मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के दौरान विशेष न्यायाधीश से भी मांग की कि जमानत याचिका को पहले विशेष न्यायाधीश द्वारा विचार किया जाए। 26 जून को, केजरीवाल को भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई ने तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था।

21 मार्च को ED ने एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया था। 12 जुलाई को ED मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी। लेकिन केजरीवाल को सीबीआई मामले में आरोपित होने के कारण बाहर आना संभव नहीं हो सका।

कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल का तर्क भ्रामक था

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को मुकदमे की सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील की दलील को ‘भ्रामक’ करार दिया कि ट्रायल कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद आरोपित से पूछताछ करने की अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। अदालत ने कहा कि पीएमएलए मामले में आरोपित को न्यायिक हिरासत में रखा गया था, इसलिए सीबीआई को आवेदन देना पड़ा।

उनसे पूछताछ करने के लिए सीबीआई अधिकारियों को अदालत की अपेक्षित अनुमति चाहिए थी। अदालत ने कहा कि सीबीआई को केजरीवाल से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत थी, जिसमें सुबूतों की जांच, आबकारी कानूनों के निर्माण और कार्यान्वयन, आरोपितों और संदिग्धों के बीच रची गई बड़ी साजिश का पता लगाना और धन के लेन-देन का पता लगाना शामिल था।

सीबीआई ने निचली अदालत को बताया कि जेल में पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने टालमटोल किया। इसके कारण प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने में बाधा उत्पन्न हुई।

Related Articles

Back to top button