Adani Group Crisis: गौतम अडानी के सामने एक के बाद एक संकट, सेबी अब कार्रवाई में है, हो सकती है इस एंगल से जांच!

Adani Group Crisis: गौतम अडानी और अडानी समूह को लगातार परेशानियों से गुजरना पड़ा है। अमेरिकी फेडरल कोर्ट में बिजली परियोजनाओं के लिए रिश्वत के आरोप तय होने के बाद गौतम अडानी यहां भारत में विवादों में आ गए हैं।

Adani Group Crisis: गौतम अडानी और अडानी समूह को लगातार परेशानियों से गुजरना पड़ा है। मेरिकी फेडरल कोर्ट में बिजली परियोजनाओं के लिए रिश्वत के आरोप तय होने के बाद गौतम अडानी यहां भारत में विवादों में आ गए हैं। अब खबर है कि इंडियन मार्केट को रेगुलेट करने वाली संस्था सेबी अपने एंगल से इस मामले की पूरी तहकीकात कर सकती है। ब्लूमबर्ग ने बताया कि सेबी इस पूरे मामले में जांच कर सकती है कि क्या अडानी समूह ने बाजार में होने वाली गतिविधियों की जानकारी देने के जरूरी नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया है?

क्या डिटेल है?

इंडियन सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड ने स्टॉक एक्सचेंजों के अधिकारियों से पूछा है कि क्या अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड रिश्वतखोरी के आरोपों में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच का उचित तरीके से खुलासा करने में विफल रही है? क्या सच में अडानी समूह ने सभी उचित जानकारी दिए हैं? अडानी समूह इस मामले में कुछ छिपाने की कोशिश तो नहीं कर रहा है? सूत्रों ने ब्लूमबर्ग को नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि सेबी अगले दो सप्तास तक मामले की तहकीकात करेगी और फिर तय किया जाएगा कि मामले की औपचारिक जांच शुरू करना है या नहीं।

जानिए क्या है मामला?

अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी पर भारत में सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को लगभग 2,200 करोड़ रुपये की घूस देने का आरोप लगाया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों से महंगी सौर ऊर्जा खरीदने का आरोप लगाया है। लेकिन इसमें अधिकारियों के नाम नहीं बताए गए हैं। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने का अनुमान है।

अभियोजकों ने कहा कि अमेरिका ने 2022 में एक जांच शुरू की। उन्होंने आरोप लगाया कि समूह ने कंपनी की रिश्वत विरोधी गतिविधियों और नीतियों के बारे में गलत और भ्रामक जानकारी देकर अमेरिकी कंपनियों सहित अन्य से कर्ज और बॉण्ड के जरिये दो अरब डॉलर जुटाए। साथ ही समूह ने रिश्वत को लेकर जांच के बारे में सही जानकारी नहीं दी। अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े मामलों में विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है। इस बीच, अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया और उन्हें निराधार बताया है।

 

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