Corona Cases: कोरोना वायरस के मामले फिर से क्यों बढ़ रहे हैं, क्या यह वायरस की वापसी है?

Corona Cases: देश के कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। कोविड के लक्षणों वाले लोगों की जांच की जा रही है। जिसमें कुछ पॉजिटिव भी हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या वायरस वापस आ रहा है? इस बारे में महामारी विशेषज्ञों से जानते हैं।

Corona Cases: इंदौर, मध्य प्रदेश में दो व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। चेन्नई में भी कोविड-19 के मामले सामने आए हैं। दिल्ली में भी कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी। पिछले दो वर्षों से इसके केस बहुत कम आ रहे हैं। लेकिन गर्मियों की शुरुआत होते ही मामले फिर से बढ़ रहे हैं। केस बढ़ने से फिर वही सवाल उठता है कि क्या ये वायरस की वापसी के संकेत हैं? क्या वायरस का कोई नया स्ट्रेन आ गया है? इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं।

2020 में चीन ने कोरोना वायरस की शुरुआत की। भारत सहित पूरी दुनिया में वायरस फैल गया। करोड़ों लोग भी मर गए। वायरस को प्राकृतिक इम्यूनिटी मिलने से भी वायरस कमजोर होने लगा। बीते दो वर्षों में केस बहुत कम आए हैं। वायरस में कोई नया बदलाव नहीं पाया गया। ओमिक्रॉन वेरिएंट से कई अलग-अलग वेरिएंट आए। कोरोना का संक्रमण किसी व्यक्ति में भी हल्के लक्षणों से दिखाई देता था। लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के इंदौर में एक कोविड संक्रमित महिला की मौत भी हुई है।

मामले पुनः बढ़ने का क्या कारण है?

डॉ. जुगल किशोर, एक महामारी विशेषज्ञ, कहते हैं कि कोई भी वायरस कभी भी जड़ से खत्म नहीं होता। वायरस कमजोर हो जाता है, लेकिन वह हमेशा रहता है। फिर से केस आने का कारण फ्लू के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या बढ़ना है। इस समय फ्लू और सांस संबंधी वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। फ्लू जैसे लक्षण वाले लोगों की कोविड जांच करने पर कुछ लोग पॉजिटिव हो सकते हैं क्योंकि कोविड का वायरस भी मौजूद है।

डॉ. किशोर का कहना है कि ऐसा कभी नहीं हो सकता कि कभी कोई वायरस का केस नहीं हुआ होगा। अगर टेस्ट होंगे तो मामले आ सकते हैं। ज्यादा टेस्ट करने से केस बढ़ भी सकते हैं, लेकिन इससे कोई पैनिक नहीं होता। अब कोविड वायरस पहले की तरह खतरनाक नहीं है।

क्या कोरोना वायरस फिर से खतरा बन सकता है?

दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल में कोविड नोडल अधिकारी रहे डॉ अजीत जैन ने कहा कि कोरोना वायरस के कई स्ट्रेन अब तक आ चुके हैं, लेकिन डेल्टा को छोड़कर अधिकांश हल्के ही हैं। पिछले कुछ वर्षों में कोई नया बदलाव नहीं आया है। ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन संक्रमित लोगों के सैंपलों की जीनोम टेस्टिंग जरूरी है। इससे मरीजों में कौन सा वेरिएंट है पता चलेगा। अगर पुराने वेरिएंट ही हैं, तो कोई चिंता वाली बात नहीं है, लेकिन अगर कोई नया वेरिएंट मिलता है तो अलर्ट रहना होगा. फिर कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से सावधानी बरतने की जरूरत होगी।

इंदौर में COVID-19 से मौत का क्या कारण है?

डॉ. जैन कहते हैं कि कोविड से संक्रमित जिस मरीज की मौत हुई है उसकी मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी देखनी होगी. हो सकता है कि महिला की मौत किसी बीमारी से हुई हो. वह कोविड संक्रमित थी तो यह जरूरी नहीं है कि मौत का कारण कोरोना वायरस ही हो.

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